चौराहों पर, रेलवे स्टेशन पर, बस अड्डों पर या फिर कभी-कभी घर की चौखट पर भी हमने भिखारियों को मदद मांगते देखा है. हम कभी पसीज जाते हैं और उन्हें खाने-पीने की चीज़ या पैसे पकड़ा देते हैं लेकिन ऐसा कम होता है. आमतौर पर भिखारियों को दुत्कारा, डांटा और अपशब्द कहा जाता है. भिखारियों द्वारा चोरी करने और बद्तमीज़ी करने की घटनाएं गिनाते हैं, निस्संदेह ऐसे लोग भी होते हैं पर ज़्यादातर लोग भिखारी मजबूर ही होते हैं.
नवीन ने भिखारियों को कुछ रुपये देने की बजाए उनकी ज़िन्दगी बदलने का निश्चय किया. 2014 से अब तक उन्होंने 5000 से ज़्यादा भिखारियों की सहायता की है ऐर 500 से ज़्यादा भिखारियों को नौकरी दिलवाई है.
2014 की बात है मैं ईरोड के एक मंदिर में गया था. एक बुढ़ी औरत ने मुझ से पैसे मांगे और कहा कि उसके रिश्तेदारों ने उसे छोड़ दिया है. उसे घर वापस जाने के लिए पैसे चाहिए थे.
-पी. नवीन. कुमार
नवीन के घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, उसके पिता दिव्यांग और मां बीमार थी. उस वक़्त मेकेनिकल इंजीनियरिंग के तीसरे साल में थे. उसने अपने खाने के लिए रखे 15 रुपये उस महिला को दे दिए और पानी पीकर सो गया.
मुझे समझ आ गया कि वो भीख मांग रहा है. मैंने उससे बात करने की कोशिश की और पूछा कि वो सम्मानपूर्वक ज़िन्दगी क्यों नहीं जीता और सड़क पर भीख क्यों मांग रहा है.
-पी. नवीन. कुमार
22 दिनों तक नवीन ने राजशेखर का पीछा किया और जवाब मांगे. नवीन को राजशेखर हमेशा दुत्कार देता, गालियां देता और बेइज़्ज़त करता.
एक दिन रात 11 बजे हमने साथ में चाय पी. उसने अपने बारे में बताया कि वो दारूबाज़ है और अपनी ज़िन्दगी से दुखी है और इसलिए उसने ये रास्ता चुना.
-पी. नवीन. कुमार
नवीन को पता चला कि राजशेखर अच्छे परिवार से था. इस घटना ने नवीन पर गहरी छाप छोड़ी और उसने भिखारियों को नौकरी दिलाकर या किसी और तरीके से उनकी ज़िन्दगी सुधारने का निश्चय किया. नवीन ने अपने दोस्तों से बात की पर उसे सभी ने इस रास्ते पर आगे न बढ़ने की हिदायत दी. नवीन के दोस्तों ने उसे पढ़ाई और करियर पर ध्यान देने को कहा.
मेरे दोस्तों ने कहा कि भारत सरकार भिखारियों की समस्या नहीं सुलझा सकी मैं अकेला क्या कर लुंगा?
-पी. नवीन. कुमार
नवीन ने पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया और उसे बेस्ट आउटगोइंग स्टूडेंट 2014 का अवॉर्ड मिला. नवीन के दिमाग़ से राजशेखर नहीं गया और उसने राजशेखर को एक रेसिडेंशियल सोसाइटी में नौकरी दिलवाई.
2016 के बाद नवीन की ज़िन्दगी बदल गई, उसने अपने ही कॉलेज में बतौर लेक्चरर नौकरी मिल गई. अपनी सैलरी, डोनेशन और 18 ज़िलों में मौजूद 400 वॉलंटियर्स की टीम की मदद से नवीन ने 500 से ज़्यादा भिखारियों को नौकरी दिलाई और 5000 से ज़्यादा भिखारियों का पुनर्वास करवाया.
साइकॉलॉजी और मेडिकल के छात्र भिखारियों की काउंसिलींग करते हैं. नवीन कुमार को उसके काम के लिए 2018 में नेशनल यूथ अवॉर्ड से और 2019 में स्टेट यूथ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
Source- The Better India