मौलाना अबुल कलाम आज़ाद देश के पहले शिक्षा मंत्री थे. गांधी के समर्थक थे मौलाना आज़ाद. उन्होंने देश को आज़ाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही वो एक पत्रकार, वक्ता, लेखक और इतिहासकार थे. शिक्षा के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. आज उनकी जंयती के अवसर पर आपको बताते हैं मौलाना आज़ाद से जुड़ी कुछ अहम बातें.
1. रूढ़िवादी विचारों और सोच से चाहते थे आज़ादी
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मौलाना अबुल कलाम आज़ाद पक्के मुसलमान थे और पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ते थे. लेकिन उनकी सोच काफ़ी प्रगतिशील थी. वो युवाओं को अंग्रेज़ों की दमनकारी नीतियों के प्रति जागरूक करते थे. वो देश को आज़ाद करवाने साथ ही उसे थोपे गए विचारों और रूढ़िवादी सोच से भी आज़ाद करवाना चाहते थे.
2. हिंदुस्तान को चुना
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जब देश का विभाजन हो रहा था तो मौलाना आज़ाद ने जिन्ना और अंग्रेज़ों की टू-नेशन थ्योरी का पुर्ज़ोर विरोध किया था. दुर्भाग्यवश जब देश का विभाजन हुआ तो उन्होंने हिंदुस्तान को अपनी मातृभूमि के रूप में चुना था.
3. शिक्षा नीति में किए महत्वपूर्ण बदलाव
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आज़ादी मिलने के बाद उन्हें देश का पहला शिक्षा मंत्री बनाया गया. कार्यभार संभालते ही उन्होंने 14 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए शिक्षा अनिवार्य कर दी. देश का पहला IIT, IIM और UGC देने वाले पहले शिक्षा मंत्री बने. उनके नेतृत्व में ही साहित्य अकादमी की स्थापना हुई थी.
4. भारत रत्न से किया गया सम्मानित
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शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें 1992 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. उनकी याद में ही मौलाना आज़ाद की जयंती पर पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है.