कभी शांति और प्रेम का प्रतीक रहा इस्लाम, आज आतंक का पर्याय बन गया है, जिसके पीछे कहीं न कहीं ISIS जैसे कट्टरपंथी संगठन ज़िम्मेदार हैं. इस कट्टरपंथी विचारधारा से सिर्फ़ रिपब्लिक देश ही नहीं बल्कि इस्लामिक राष्ट्र भी घबराने लगे हैं.

इसका ताज़ातरीन उदाहरण हाल ही में पश्चिमी देश मोरक्को में देखने को मिला, जहां गृह मंत्रलय ने देश में बुर्का बनाने वालों के साथ ही बेचने वालों और आयात करने वालों को पत्र लिख कर निर्देश दिया है कि वे इस पर जल्दी ही रोक लगायें. इसके साथ ही दुकानदारों से कहा गया है कि वो 48 घंटे के अंदर अपना सारा स्टॉक निकाल दें.

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सरकार के इस निर्णय की वजह उस चरमपंथी विचारधारा को खत्म करना है, जो देश में कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा को जन्म दे सकती है. मोरक्को एक इस्लामिक देश होने के बावजूद पाश्चात्य धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं, जहां लोगों के विचार इस्लाम के संबंध में उदार हैं. शायद इसी वजह से सरकार के इस फै़सले के प्रति लोगों का कोई प्रदर्शन नहीं हुआ है, बल्कि इस फै़सले को मुस्लिम महिलाओं की स्वतंत्रता के मार्ग में एक कदम माना जा रहा है.

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इससे पहले इस तरह का ही एक प्रतिबंध मिस्र भी लगा चुका है, जहां के सांसद आमना नोसीर का कहना था कि ‘ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिससे यह कहा जाए कि बुर्का इस्लामी प्रथा का हिस्सा है या इसे इस्लाम में अनिवार्य माना गया है. बुर्के पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह वास्तव में एक यहूदी परंपरा है, जो अरब में इस्लाम के आने से पहले से प्रचलित थी.’

सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए मिस्र के कुछ हिस्सों में नकाब पहनने पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है.