फ़ेसबुक के स्वामित्व वाली Whatsapp ने एक बड़ा ख़ुलासा किया है. Whatsapp का दावा है कि इज़राइली स्पाईवेयर ‘पेगसस’ के ज़रिए दुनियाभर के करीब 1,400 लोगों के फोन हैक किए हैं. इसमें भारत में पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी भी की गई है.
Big Breaking story from India : WhatsApp confirms: Israeli spyware was used to snoop on Indian journalists, activists https://t.co/Qid3BHNyim
— Internet Freedom Foundation (IFF) (@internetfreedom) October 31, 2019
इस दौरान Whatsapp ने बताया है कि इसी साल मई में इज़रायली स्पाईवेयर ‘पेगसस’ का इस्तेमाल करके भारत के कई पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई थी.
दरअसल, इसका ख़ुलासा सैन फ़्रांसिस्को की फ़ेडरल कोर्ट में हुआ है, जहां एक केस की सुनवाई चल रही थी. बीते मंगलवार को फ़ेसबुक ने इस संबंध में कैलिफ़ोर्निया की फ़ेडरल कोर्ट में इज़राइल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी ‘एनएसओ ग्रुप’ के ख़िलाफ़ मुक़दमा दायर किया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, भारत में क़रीब दो दर्जन शिक्षाविदों, वकीलों, दलित एक्टिविस्टों और पत्रकारों से Whatsapp ने संपर्क किया था और उन्हें जानकारी दी थी कि मई में दो हफ़्ते तक उनके फ़ोन अत्याधुनिक सर्वेलेंस में थे.
हालांकि, Whatsapp ने ये नहीं बताया कि किसके कहने पर पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फ़ोन हैक किए गए हैं. भारत में कितने लोगों को इसके ज़रिए निशाना बनाया गया Whatsapp ने इसकी जानकारी भी नहीं दी.
Ever feel like you’re being watched?
— Amnesty International (@amnesty) October 30, 2019
WhatsApp is suing NSO as its spyware was used to target at least 100 human rights activists.
It’s time they were stopped.
(Next week we’re supporting a legal case in Israel to do just that.) https://t.co/KG50KJXfYw
फ़ेसबुक ने लगाए हैं ये आरोप
Whatsapp का आरोप है कि ‘एनएसओ ग्रुप’ इजराइल की निगरानी करने वाली कंपनी है. इसी कंपनी ने स्पाईवेयर ‘पेगसस’ टेक्नोलॉजी विकसित की है. जिसके ज़रिये वो लोगों की जासूसी करती है. पिछले कुछ समय में चार महाद्वीपों के कई उपयोगकर्ता इसके शिकार बन चुके हैं. इनमें राजनयिक, राजनीतिक विरोधी, पत्रकार और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं.

इस दौरान Whatsapp प्रमुख विल कैथार्थ ने कहा कि, इस संबंध में हमने क़रीब 1,400 यूज़र्स को मेसेज के ज़रिये इसकी जानकारी दी है. इस सप्ताह हमने जिन भी लोगों से संपर्क किया है उनमें सभी भारतीय यूज़र्स भी शामिल हैं.
फ़ेसबुक का आरोप है कि एनएसओ ग्रुप ने यूजर्स के स्मार्टफ़ोन को हैक करने के लिए Whatsapp की एक खामी का इस्तेमाल कर ‘यूएस कंप्यूटर फ़्रॉड और अब्यूज एक्ट और कानूनों’ का उल्लंघन किया है.

कैसे काम करता है ‘पेगसस’
इस दौरान टारगेट यूजर को एक लिंक भेजा जाता है. लिंक पर क्लिक करते ही ‘पेगसस’ ऑपरेटर को यूजर के फ़ोन के सिक्योरिटी फ़ीचर्स से छेड़छाड़ का एक्सेस मिल जाता है. फिर बिना यूजर को पता चले फ़ोन में ‘पेगसस’ इंस्टॉल कर दिया जाता है.
एक बार फ़ोन में ‘पेगसस’ इंस्टॉल हो गया तो वो ऑपरेटर की कमांड के मुताबिक कोई भी डेटा इधर-उधर कर सकता है. कॉल्स, मैसेजेस, कॉन्टैक्ट्स भेजना बेहद आसान हो जाता है. ऑपरेटर चाहे तो यूजर के कैमरा और माइक को एक्टिव कर हर हरकत पर नज़र भी रख सकता है.
WhatsApp का दावा है कि सिर्फ़ मिस्ड कॉल्स के ज़रिए स्मार्टफ़ोन्स को निशाना बनाया गया. एक मिस्ड कॉल से हैक हो सकता है आपका WhatsApp!
This really important scoop by my colleague @seemay confirms everyone’s worst suspicions – WhatsApp confirms: Israeli spyware used to snoop on Indian journos, activistshttps://t.co/e89OB42Tjs
— Nirupama Subramanian (@tallstories) October 31, 2019
Shared by Indian Express iOS app
Click here https://t.co/G9p94F0gcR
एनएसओ ग्रुप ने खारिज किए फ़ेसबुक के आरोप
एनएसओ ग्रुप ने एक बयान जारी कर फ़ेसबुक के सभी आरोपों से इंकार किया है. हम इसके ख़िलाफ़ लड़ने के लिए तैयार हैं. हमने लाइसेंस प्राप्त सरकारी ख़ुफ़िया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आतंकवाद और गंभीर अपराध से लड़ने में मदद करने के उद्देश्य से इस तकनीक को विकसित किया है न कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के ख़िलाफ़ उपयोग के लिए डिज़ाइन किया है. इसने हाल के सालों में हज़ारों लोगों की जान बचाने में मदद की है.

हालांकि, Whatsapp ने भारत के किन पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फ़ोन हैक किए गए इसकी जानकारी तो नहीं दी, लेकिन Newslaundry ने उनके नाम का ख़ुलासा किया है.
1- निहाल सिंह राठौड़
नागपुर के रहने वाले निहाल सिंह राठौड़ एक मानवाधिकार वकील हैं, जो भीमा कोरेगांव मामले के कई आरोपियों को सामने ला चुके हैं. निहाल को 7 अक्टूबर को सिटीजन लैब के एक वरिष्ठ शोधकर्ता जॉन स्कॉट-रेल्टन से एक मेसेज मिला जिसमें उन्हें निगरानी के लिए अलर्ट किया गाया था.
2- बेला भाटिया
बेला भाटिया छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ने के चलते बेला को अक्सर राज्य की सतर्कता इकाईयों द्वारा धमकियों मिलती रहती हैं. क्योंकि उन पर ‘नक्सल समर्थक’ होने के आरोप लगते हैं.
3- देगरी प्रसाद चौहान
महाराष्ट्र के रहने वाले देगरी चौहान पेशे से वकील और कार्यकर्ता हैं. जो दलितों और आदिवासियों के सांस्कृतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए लड़ते हैं. चौहान को 28 अक्टूबर को स्नूपिंग के बारे में सूचित किया गया था.
4- आनंद तेलतुम्बडे
प्रोफ़ेसर, लेखक और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बडे को लगभग 10 दिन पहले सिटीजन लैब से फ़ोन आया था. इस दौरान उन्हें भी स्पाइवेयर के हमले की जानकारी दी गयी थी.
5- सिद्धान्त सिब्बल
सिब्बल Wion News TV चैनल के प्रिंसिपल डिप्लोमैटिक और डिफ़ेंस संवाददाता हैं.
Whatsapp used to hack smartphones. Around 1400 users from around the world affected. WION’s @sidhant was also targeted.
— WION (@WIONews) October 30, 2019
Whatsapp sues an #Israel firm, accusing it of hacking phones of scribes, diplomats & activists.
Catch the full story on #Gravitas with @palkisu | 9 PM IST pic.twitter.com/WdZJmNVqnz
इस तरह के तमाम लोगों के नाम सामने आने के बाद विपक्ष मोदी सरकार को घेरने में लग गयी है.
Modiji’s open transparent government !
— Kapil Sibal (@KapilSibal) October 31, 2019
The Surveillance State is here :
WhatsApp’s US based Director Carl Woog reveals that an Israeli NSO group used it’s spyware Pegasus to target Indian journalists and human rights activists for 2 weeks till May 2019
What about now ?
The recent @WhatsApp malware attack raises several red-flags about data protection & Indians’ right to privacy.
— Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) October 31, 2019
Why did a private Israeli company hack the smartphones of two dozen Indian journalists & activists?@seemay @IndianExpress https://t.co/PFPAdM9G1W
Facebook-owned platform WhatsApp, in a startling revelation, has said journalists and human rights activists in India have been targets of surveillance by operators using Israeli spyware Pegasus. It is a breach of privacy & individual freedom. @seemay https://t.co/cxsGN4e5Xo
— Md Salim (@salimdotcomrade) October 31, 2019
@WhatsApp finally the truth is out. I have constantly raised it , put it as my status many times that my whatsapp was invaded. I had to type my replies 4-5 times, they would disappear and many other indications https://t.co/3dJyfgrjv6
— Shabnam Hashmi (@ShabnamHashmi) October 31, 2019
बता दें कि दुनिया भर में Whatsapp का इस्तेमाल करने वालों की संख्या करीब डेढ़ अरब है. भारत में करीब 40 करोड़ लोग Whatsapp का इस्तेमाल करते हैं.
Scary stuff. Let’s go back to meeting people in coffee shops https://t.co/qrpmeGnDOY via @IndianExpress
— Nandagopal Rajan (@nandu79) October 31, 2019
ये पहली बार है जब यूजर्स पर इस प्रकार का हमला करने के लिए कंपनी ने किसी निजी संस्थान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की हो.