भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार सुबह 9:28 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से बहुउद्देशीय सैटेलाइट ‘कार्टोसैट-3’ को लॉन्च कर दिया. लॉन्च होने के 17 मिनट बाद ही PSLV-C47 ने ‘कार्टोसैट-3’ को उसके ऑर्बिट में सफ़लतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया है.
#PSLV-C47 carrying Cartosat-3 and 13 USA nanosatellites lifts off from Sriharikota at 9:28 AM.#Cartosat3 #ISRO pic.twitter.com/BZTJMEq58O
— News of ISRO (@ISRO_News) November 27, 2019
इसरो ने पीएसएलवी के माध्यम से ‘कार्टोसैट-3’ के साथ ही 13 छोटे अमेरिकी सेटेलाइट को भी सफ़लतापूर्वक प्रक्षेपित किया. ये कार्टोसैट सीरीज़ का 9वां उपग्रह है. इसरो इससे पहले भी 8 उपग्रह सफ़लतापूर्वक भेज चुका है. चंद्रयान 2 के बाद ये इसरो का एक बड़ा मिशन है.
बेहतर क्षमता और नवीनतम तकनीकी वाले ‘कार्टोसैट-3’ को भारत की आंख भी कहा जा रहा है, क्योंकि इससे बड़े स्तर पर अंतरिक्ष से पृथ्वी पर मैपिंग की जा सकेगी. इस सेटेलाइट के माध्यम से पृथ्वी की छोटी से छोटी गतिविधियों पर नज़र रखी जा सकेगी.
ये ख़ास क्षमताएं हैं इस सैटेलाइट में?
‘कार्टोसैट-3’ का कुल वजन लगभग 1,625 किलोग्राम है. कार्टोसैट-3 धरती से 509 किलोमीटर ऊपर चक्कर काटेगा और भारतीय सेना के लिए मददगार साबित होगा. अब भारतीय सेनाएं पाकिस्तान की नापाक हरकत और उनकी आतंकी गतिविधियों पर बाज जैसी नज़र रख पाएंगी. ज़रूरत पड़ने पर इस सैटेलाइट की मदद से सर्जिकल या एयर स्ट्राइक भी की जा सकेगी.
‘कार्टोसैट-3’ के सफ़ल प्रक्षेपण के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने इसरो को बधाई देते हुए ट्वीट किया-
I heartily congratulate the entire @isro team on yet another successful launch of PSLV-C47 carrying indigenous Cartosat-3 satellite and over a dozen nano satellites of USA.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 27, 2019
मैं इसरो टीम को पीएसएलवी-सी 47 द्वारा स्वदेशी कार्टोसैट-3 उपग्रह और संयुक्त राज्य अमेरिका के एक दर्जन से अधिक नैनो उपग्रहों के सफ़लतापूर्वक प्रक्षेपण के लिए बधाई देता हूं. कार्टोसैट-3 हमारी हाई रिजॉल्यूशन इमेजिन क्षमता को बढ़ाएगा. इसरो ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है.
अब तक ‘कार्टोसैट सीरीज़’ के 8 सैटेलाइट हुए हैं लॉन्च
5 मई 2005 – कार्टोसैट-1
इस खास मौके पर इसरो चीफ़ के. सिवन श्रीहरिकोटा मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में मौजूद रहे. इस मिशन में उनके साथ इंजिनियर्स और इसरो के बड़े वैज्ञानिक मौजूद थे.