आज विकास का नाम ऊंची-ऊंची बिल्डिंग्स और लम्बी-लम्बी सड़कें हैं, जिसे पूरा करने के लिए जंगलों को उजाड़ कर लोगों के लिए ज़मीन तैयार की जा रही है. हालांकि, सरकार और प्रशासन लगातार जंगलों को बचाने की कोशिश कर रही है. इसके बावजूद जंगल आज भी विकास रूपी देवी की बलि चढ़ रहे हैं.

इन सब के बीच एक ऐसा शख़्स भी है, जिसने 37 साल पहले एक उजाड़ वीराने में हरे-भरे जंगल का सपना देखा और उसे पूरा करने की चाहत में पेड़ लगाने शुरू किये. असम के रहने वाले जाधव के इसी सपने की वजह से आज 1,360 एकड़ में एक विशाल जंगल फैला हुआ है, जबकि सरकार के सेंट्रल पार्क का कुल एरिया 778 एकड़ है.

जाधव के मन में जंगल का सपना लड़कपन में उस समय पैदा हुआ, जब उन्होंने अपने घर के पास जंगल न होने की वजह से सांप को मरते हुए पाया. इस बाबत उन्होंने अधिकारीयों से बात करके पेड़ लगाने का अनुरोध भी किया, पर अधिकारीयों ने उस इलाके में पेड़ लगाने से साफ़ मना कर दिया. इसके बाद जंगल उगाने की ज़िम्मेदारी जाधव ने खुद अपने कंधों पर ली और तब से ले कर आज तक वो हर दिन पेड़ एक लगा रहे हैं.

आज उनके द्वारा उगाया गया जंगल 115 हाथियों के साथ कई जानवरों के लिए उनका खुद का घर है. अपनी यात्रा के बारे में जाधव कहते हैं कि ‘ये मेरी आखिरी सांस के साथ ही खत्म होगी.’