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ये कुछ ऐसे स्वर हैं जो बीते दिन भारतीय टीवी चैनल, मीम पेज, यूट्यूब चैनल, व्हाट्सऐप फ़ॉर्वर्ड्स में काफ़ी गूंजे. कुछ ‘टीआरपी पत्रकार’ भारतीय पत्रकारिता की जड़ों पर कुल्हाड़ी मारने का काम बेहद उम्दा तरीक़े से कर रहे हैं. जग हंसाई तो हो ही रही है साथ ही फ़ेक न्यूज़, गै़र-ज़रूरती न्यूज़ का बोल-बाला है. 

डूबते को तिनके का सहारा बात को अगर सच माना जाए तो आज भी कुछ पत्रकार हैं जो पत्रकारिता की साख बचाए हुए हैं. 

1. तनुश्री पाण्डेय 

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हाथरस मामले को कवर कर रहीं, इंडिया टुडे की पत्रकार, तनुश्री पाण्डेय के फ़ोन टैपिंग की घटना सामने आई. एक सरकार समर्थक वेबसाइट पर पाण्डेय और मृतक महिला के भाई की बात-चीत की ऑडियो क्लिप अपलोड की गई. इसके बाद से ही इस बात पर बवाल मच गया कि एक पत्रकार का फ़ोन टैप कैसे किया जा सकता है. बीजेपी ने इस ऑडियो का हवाला देते हुए कहा कि मीडियाकिस तरह से हाथरस पर ग़लत रिपोर्टिंग कर रही है. इंडिया टुडे ने भी मामले पर अपना स्टेटमेंट जारी किया.

2. प्रतिमा मिश्रा

उत्तर प्रदेश पुलिस ने एबीपी न्यूज़ की रिपोर्टर और कैमरापर्सन को डिटेन कर लिया. रिपोर्टर प्रतिमा मिश्रा के साथ हाथा-पाई की तस्वीरें और वीडियो हम सब के सामने हैं. पुलिस ने दोनों को घटना पर रिपोर्ट न करने को कहा और उन्हें जबरन गाड़ी में बैठाया. प्रतिमा ने रिपोर्टिंग जारी रखी और पूछा कि गांव में न घुसने का र्डर दिखाया. यूपी पुलिस कोई ऑर्डर नहीं दिखा पाई और पत्रकार के साथ ही ग़लत व्यवहार किया.

3. हाथरस के स्थानीय पत्रकार

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Indian Express

किसी एक का नाम लेना ग़लत होगा. हाथरस में हुई घटना और उसके बाद पुलिस और प्रशासन की लीपा-पोती, ओछी, जल्दी-जल्दी में निपटाने वाली हरकतें अगर हम तक पहुंची हैं तो इसका पूरा श्रेय वहां के स्थानीय पत्रकारों को जाता है. 

4. बरखा दत्त

The Print

पैंडमिक के दौरान बरखा दत्त ने अपनी पत्रकारिता से साबित कर दिया है कि पत्रकार किसी ओहदे का मोहताज नहीं है. जब देश लॉकडाउन में था तब बरखा ने देशभर में घूम-घूम कर हम तक कई कहानियां पहुंचाई. 

5. सलमान रावी

BBC

बीबीसी पत्रकार सलमान रावी प्रवासी मज़दूरों का पलायन दिखा रहे थे. शूट के दौरान उन्होंने अपने जूते एक मज़दूर को दान कर दिए. इस हरकत की तारीफ़ भी हुई और पत्रकार पर शॉ ऑफ़ का इल्ज़ाम भी लगा. इस बात से कौन इंकार कर सकता है कि इस दुनिया को अगर कुछ चाहिए तो वो है थोड़ी सी ‘दयालुता’

6. राना अयूब

ट्विटर पर कुछ चुनींदा लोगों के लिए गालियां देने वालों का रेला सा लग जाता है. उन चुनींदा लोगों में से ही एक हैं पत्रकार राना अयूब. पैंडमिक में राना ने बहुत से लोगों की मदद की. राना खाने-पीने और साफ़-सफ़ाई की चीज़ें पहुंचाने के लिए ख़ुद सड़कों पर उतरीं. 

7. Faye D’Souza

I For Her

Faye ने अपने यूट्यूब चैनल द्वारा कई ज़रूरी मुद्दों को उठाया है. पैंडमिक में हेल्थकेयर वर्कर्स से लेकर मज़दूरों तक, Faye ने उन सभी इश्यूज़ पर बात की जिन पर बात होनी चाहिए.