इंडियन पॉलिटिक्स भी बड़ी अजीब है. यहां कौन, कब, किसका दोस्त बन जाए और कब दुश्मन कुछ पता ही नहीं चलता. ऊपर से नेताओं की उल-जुलूल बयानबाज़ी कसम से अगर देश में न्यायपालिका न हो, तो ये किसी डेली सोप से कम नहीं लगता. ये न्यायपालिका ही है, जिसकी वजह से अब भी लोगों का संविधान पर भरोसा बना हुआ है, पर ज़रा सोचिये कि न्यायपालिका में बैठे न्यायधीश ही अगर ड्रामेबाज़ी पर उतर आयें, तो कैसा होगा?
हालांकि, ऐसा बहुत ही मुश्किल है, पर यदि आपने जस्टिस करनन के बारे में सुना हो, तो हमारी बात पर यकीन करने लगेंगे.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
अभी तक, तो इतना ही पता चला है, पर आगे भी बहुत कुछ देखने को मिलने वाला है. आप बस बैठिये और डेली सोप की तरह आगे क्या होगा ये सोचते रहिये.
आपके लिए टॉप स्टोरीज़