हमारे समाज में जिस औरत का पति मर जाता है, उसे विधवा कहा जाता है. हालांकि, इसके पीछे क्या वजह है या बस ये एक संबोधन है, इसके बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं है. लेकिन कुछ संस्थाएं और महिलाएं इस संबोधन से सहमत नहीं थीं. इसलिए उन्होंने इसको बदलने की मांग उठाई थी. इंदौर में इसकी पहल शुरू की गई, जहां 21 हज़ार लोगों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में अपना समर्थन दिया. फिर मध्यप्रदेश विधानसभा ने विधवा महिलाओं को विधवा कहने के बदले ‘कल्याणी’ कहने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी.

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति दे दी है. इंदौर की एक धार्मिक और आध्यात्मिक संस्था श्री दत्त माऊली सद्गुरु अण्णा महाराज संस्थान पिछले दो सालों से इस कल्याणी अभियान को चला रही थी. इन संस्था ने जगह-जगह जाकर महिलाओं को कल्याणी का संबोधन दिया और नुक्कड़-नाटक कर समाज से विधवा शब्द को हटाकर फेंकने का आह्वान किया. संस्था के अण्णा महाराज के अनुसार, पति की मृत्यु के बाद औरतें पहले ही कमज़ोर होने लगती हैं. ऐसे में विधवा शब्द सुन कर उनके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचती है.

इस संस्था ने प्रधानमंत्री को सौंपने के लिए भी 21 हज़ार लोगों के हस्ताक्षर वाला एक प्रस्ताव तैयार किया गया है. सबसे अच्छी बात ये है कि महिला दिवस के अवसर पर ही महिलाओं के आत्मसम्मान के लिए इतना अच्छा प्रस्ताव पास किया गया. जहां तक हमारा मानना है कि शब्द में कुछ नहीं रखा, अगर आप उनकी मदद करें और उनका सम्मान पूर्ववत करें, तो कोई कमज़ोर और अकेला महसूस नहीं करेगा.