कानपुर एनकाउंटर के मास्टरमाइंड विकास दुबे को पुलिस ने मध्य प्रदेश के उज्जैन से किया गिरफ़्तार कर लिया है. 2 जुलाई की रात 8 पुलिसकर्मियों की जान लेने वाला ये शातिर अपराधी आख़िरकार पुलिस की गिरफ़्त में आ ही गया है.

बताया जा रहा है कि विकास दुबे ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के बाहर मीडिया और पुलिस को बुलाकर सरेंडर किया है. विकास दुबे ने महाकालेश्वर मंदिर की पर्ची कटाई और इसके बाद ख़ुद ही सरेंडर कर दिया. फिलहाल स्थानीय पुलिस ने उसे कस्टडी में ले लिया है. यूपी पुलिस ने विकास दुबे की गिरफ़्तारी की पुष्टि की है.

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मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, विकास दुबे महाकाल मंदिर के सामने खड़ा था. जब वहां स्थानीय मीडिया पहुंची तो वो चिल्लाने ‘मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला’. इसके तुरंत बाद स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और उसे गिरफ़्तार कर महाकाल थाने ले गई.

बताया जा रहा है कि विकास दुबे ने बकायदा स्थानीय मीडिया को अपने सरेंडर की ख़बर पहले ही दे दी थी. इसके बाद उसने उज्जैन के महाकाल थाने के पास स्थानीय पुलिस के सामने सरेंडर किया है. सरेंडर की ख़बर के बाद यूपी STF की टीम उज्जैन रवाना हो गई है.

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आज सुबह ही यूपी पुलिस ने एनकाउंटर में विकास दुबे के दो साथियों को ढेर कर दिया था. इसके के थोड़ी देर बाद ही विकास दुबे ने एनकाउंटर के डर से उज्जैन में सरेंडर कर दिया. 

बता दें कि बुधवार को विकास दुबे फ़रीदाबाद के एक गेस्ट हॉउस में चेक इन की कोशिश करता हुआ पाया गया था. इसके बाद पुलिस ने फ़रीदाबाद के एक घर में दबिश देकर उसके दो साथियों को गिरफ़्तार कर लिया था, लेकिन विकास दुबे फ़रार हो गया था. इस दौरान पुलिस ने उसे ढूंढने की काफ़ी कोशिश की लेकिन वो मिला नहीं.

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए लिखा- जिनको लगता है कि महाकाल की शरण में जाने से उनके पाप धुल जाएंगे, उन्होंने महाकाल को जाना ही नहीं. हमारी सरकार किसी भी अपराधी को बख़्शने वाली नहीं है.

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, अभी विकास दुबे मध्य प्रदेश पुलिस की कस्टडी में है. गिरफ़्तारी कैसे हुई? इसके बारे कुछ भी कहना ठीक नहीं है. मंदिर के अंदर से या बाहर से गिरफ़्तारी को लेकर कहना भी ठीक नहीं है. उसने क्रूरता की हदें शुरू से ही पार कर दी थीं.

अब सवाल ये उठता है कि आख़िर इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद विकास दुबे फ़रीदाबाद से मध्य प्रदेश के उज्जैन कैसे पहुंच गया? उसके करीबी साथियों को ढेर करने के बावजूद आख़िर उसकी मदद कौन कर रहा था?