देश में कोरोना की स्थिति को देखते हुए पारंपरिक कांवड़ यात्रा को इस साल के लिए स्थगित कर दिया गया है. कोरोना की गंभीर स्थिति को देखते हुए यूपी, हरियाणा व उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों ने इस साल के लिए इस यात्रा को स्थगित करने का फ़ैसला किया है.

बीते शनिवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर के बीच हुई वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में इस पर सहमति बनी कि इस वर्ष श्रावण मास में निकलने वाली कांवड़ यात्रा नहीं होगी.
UP CM Yogi Adityanath held discussion via video conferencing with Haryana CM ML Khattar & Uttarakhand CM Trivendra Singh Rawat. The 3 CMs have decided to postpone this year’s Kanwar Yatra in the wake of #COVID19 pandemic,as suggested by religious leaders & kanwar orgs (file pics) pic.twitter.com/japRHXHyTt
— ANI UP (@ANINewsUP) June 21, 2020
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास से हरियाणा व उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की. इस दौरान तीनों मुख्यमंत्रियों के बीच इस बात को लेकर चर्चा हुई कि उनके राज्यों में कांवड़ संघों और धर्म गुरुओं ने कोरोना के संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष श्रावण मास में कांवड़ यात्रा स्थगित रखने का प्रस्ताव दिया है. इस प्रस्ताव पर विचार करते हुए ही तीनों मुख्यमंत्रियों ने ये फ़ैसला लिया है.

इसके बाद योगी ने उत्तर प्रदेश के सभी अपर पुलिस महानिदेशक ज़ोन और मंडलायुक्तों के साथ भी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की. इस दौरान योगी ने निर्देश दिए कि अधिकारी स्थानीय स्तर पर अपने-अपने क्षेत्रों में धर्मगुरुओं, कांवड़ संघों, पीस कमेटियों आदि से संवाद करें. धर्मगुरुओं और कांवड़ संघों से वार्ता के बाद उनकी अपील को जनता तक पहुंचाएं और प्रचारित-प्रसारित कराएं.

इस दौरान सीएम योगी ने साथ ही कहा, ‘इस पूरी प्रक्रिया के दौरान ध्यान रखा जाए कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन हो. किसी भी जगह पर 5 से अधिक लोग एकत्रित नहीं होने चाहिए. 2 गज की दूरी और चेहरे पर मास्क जैसे नियमों का पालन हर हाल में हो.

बता दें कि हर साल उत्तर भारत के कई राज्यों से लाखों कांवड़िये हरियाणा व यूपी होते हुए उत्तराखंड के हरिद्वार जल लेने पहुंचते हैं. सावन माह में शुरू होने वाली ये धार्मिक यात्रा बेहद चर्चा में रहती है. कांवड़िये बड़ी संख्या में हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल भरकर अपने यहां के शिव मंदिरों में पहुंचते हैं.