बहुत कम लोग होते हैं जो जानवरों के दर्द को भी दर्द समझते हैं. उनकी मुश्किलों को समझते हैं. उन्हें वैसा ही प्यार करते हैं जैसा कि एक इंसान दूसरे इंसान से करता है. जयपुर के बेसहारा बेज़ुबानों को ऐसा ही प्यार करते हैं कपिल बाजपेयी, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी जानवरों को समर्पित कर दी है. वो एक एनिमल लवर हैं और अभी तक हज़ारों पशु-पक्षियों की जान बचा चुके हैं.
कपिल बाजपेयी सांगानेर जयपुर में रहते हैं. उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी बेज़ुबान जानवरों को समर्पित कर दी है. कपिल का कहना है कि वो जानवरों के लिए जीते हैं और आख़िरी वक़्त तक उनकी सेवा करते रहेंगे.
बचपन से था जानवरों से लगाव
कपिल को बचपन से ही जानवरों से लगाव था. वो बचपन में कभी अपने घर से ब्रेड चुरा कर डॉग्स को खिलते थे तो कभी अपने टिफ़िन से किसी स्ट्रे डॉग का पेट भरते थे. लेकिन उनका ये पशु प्रेम 1996 में जुनून में तब्दील हो गया. इस साल उन्होंने जैकी श्रॉफ़ की फ़िल्म ‘तेरी मेहरबानियां’ देखी थी.
अपने पैसों से करवाते हैं इलाज
इससे पहले वो बेसहारा जानवरों की मदद तो करते थे लेकिन इस मूवी को देखने के बाद उन्होंने तय कर लिया किया कि वो अपना जीवन अब इनको ही समर्पित कर देंगे. कपिल बाजपेयी तभी से ही जानवरों की सेवा में जुट गए. वो बेसहारा जानवरों के लिए खाने का इंतज़ाम करते हैं, उनके लिए पीने का पानी घर के बाहर भर के रखते हैं और तो और ज़रूरत पड़ने पर घायल जानवरों का अपने पैसों से इलाज करवाते हैं.
लोग उड़ाते हैं मज़ाक
जानवरों के प्रति उनका ये लगाव देख लोग उन्हें पागल कहते हैं. लेकिन कपिल किसी का बुरा नहीं मानते. वो बस ऐसे लोगों की बातों पर मुस्कुरा देते हैं. उन्हें हैरानी तो तब होती है जब ये ही लोग किसी जानवर के मुसीबत में होने पर उन्हें बताते हैं. क्योंकि उन्हें पता है वही एक शख़्स हैं जो जानवरों की मदद कर सकता है हर हाल में.
हज़ारों पशु-पक्षियों को किया रेस्क्यू
कपिल अब तक क़रीब 1000 पशु-पक्षियों को रेस्क्यू कर चुके हैं. उनके पैशन की वजह से उनके घर में भी कलह होने लगी. यहां तक कि बॉस से भी डांट खानी पड़ी. पर कपिल इन बेसहारा जानवरों का साथ नहीं छोड़ा. कभी-कभी तो वो उधार पैसे लेकर किसी जानवर को रेस्कयू करते हैं. कपिल रेस्क्यू किए गए जानवरों को पूरी तरह ठीक हो जाने पर एनिमल शेल्टर, वन विभाग के अधिकारियों या फिर गौशाला में दे आते हैं.
कपिल ‘बेज़ुबान’ नाम का एक एनजीओ भी चलाते हैं. वो स्कूलों में जाकर Animal Awareness (पशु जागरूकता) कार्यक्रम भी करते हैं. उनका कहना है कि वो अकसर इस कार्य में ख़ुद को अकेला पाते हैं. बहुत कम ही लोग जानवरों की मदद को आगे आते हैं. कपिल आने वाले समय में बेसहारा जानवरों-पक्षियों के लिए एनिमल शेल्टर खोलना चाहते हैं.
सच में कपिल बाजपेयी इन बेज़ुबां जानवरों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं.