साल 2020 के पद्म पुरस्कारों की घोषणा की जा चुकी है. इस साल 7 हस्तियों को पद्म विभूषण, 16 शख़्सियतों को पद्म भूषण और 118 लोगों को पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा.
इस पुरुस्कारों को पाने वालों लोगों ने अपने जीवन में ऐसे काम किए हैं जिन्हें हम जानकर प्रेरणा और सम्मान से भर उठते हैं. आज भी हम आपके लिए एक ऐसी ही कहानी लेकर आए हैं.
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिला के फल विक्रेता, 68 वर्षीय हरेकाला हजाब्बा ने फल की अपनी छोटी-सी दुकान से हुई आमदनी से पहले अपने गांव के बच्चों के लिए प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल बनवाया और फिलहाल एक विश्वविद्यालय बनवाने की तैयारी में भी हैं.
Harekala Hajabba was in a line on a ration shop when authorities informed him that he got #Padma Shri. This fruit seller from Dakshin Kannada is educating poor children in his village of Newpadapu from a decade in a mosque. Doing all the efforts including spending his savings. pic.twitter.com/rufL3RZ15o
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) January 26, 2020
हजाब्बा पढ़े-लिखे नहीं हैं. यहां तक कि वो कभी स्कूल भी नहीं गए हैं. वो बताते हैं कि एक दिन, एक विदेशी कपल उनसे संतरे खरीदना चाहता था. मगर स्थानीय भाषा के अलावा उन्हें कोई दूसरी भाषा नहीं आती थी जिसके चलते उनकी बिक्री नहीं हो पाई. इस घटना से हजाब्बा को बेहद बुरा तो लगा ही मगर पढ़ाई का महत्व भी समझ में आया.
हजाब्बा ने गांव वालों की मदद से एक स्थानीय मस्जिद में एक स्कूल शुरु किया.
हजाब्बा ने कई दिनों तक बेहतर सुविधाओं के लिए जिला पंचायत कार्यालय के दरवाज़े भी खटखटाए. आख़िरकार, 2008 में जिला प्रशासन ने दक्षिण कन्नड़ जिला पंचायत के अंतर्गत नयापुडु गांव में 14वां माध्यमिक स्कूल बनवाया.
तीन बच्चों के पिता हजाब्बा को उस वक्त बड़ी हैरत हुई, जब शनिवार को उनका नाम पद्श्री सम्मान के लिए चुना गया. वो बताते हैं, ‘मुझे गृह मंत्रलाय से फ़ोन आया. उन्होंने हिंदी में बात की. मुझे समझ नहीं आया. मगर बाद में दक्षिण कन्नड़ के उपायुक्त कार्यलय के एक शख़्स ने मुझे बताया कि मैं पद्मश्री अवॉर्ड के लिए चुना गया हूं. मुझे यकीन नहीं हुआ. मैंने ऐसा सपने भी नहीं सोचा था, लेकिन मैं खुश हूं.’
हजाब्बा को कई स्थानीय अवॉड्स भी मिल चुके हैं.