लॉकडाउन में अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मज़दूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं. मगर कर्नाटक सरकार ने अपने राज्य से प्रवासी मज़दूरों को ले जाने वाली इन ट्रेन्स को रद्द कर दिया. ये फ़ैसला सीएम येदियुरप्पा ने मंगलवार को बिल्डर्स के साथ हुई बैठक के बाद लिया है.
दरअसल, इस मीटिंग में Confederation Of Real Estate Developers Associations Of India (CREDAI) लोगों ने सरकार के इस फ़ैसले पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने सरकार से कहा कि औद्योगिक गतिविधियों को फिर से शुरू होने पर मज़दूरों की ज़रूरत होगी. इसलिए ये स्पेशल ट्रेन्स न चलाई जाएं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य में सभी निर्माण और विकास संबंधी कार्यों को पूरा करने में काफ़ी लंबा समय लग सकता है. इससे सरकारी खजाने को भी घाटा होगा.
इसके साथ ही बिल्डर्स और कॉन्ट्रैक्टर्स ने सरकार को ये आश्वासन दिया कि वो मज़दूरों की ज़रूरतों का पूरा ख़्याल रखेंगे. उन्होंने ये भी दावा किया कि वो पिछले 1.5 महीने से इनका ख़्याल रख रहे हैं. काम न होने के बावजूद उन्हें सैलरी दे रहे हैं. इस मीटिंग के बाद राज्य सरकार ने साउथ वेस्टर्न रेलवे (SWR) को पत्र लिख कर ये बताया कि बुधवार से श्रमिक स्पेशल ट्रेन न चलाएं.
इस संदर्भ में जो पहले पत्र लिखा था उसे वापस लिया जाता है. ये फ़ैसला उस वक़्त लिया गया है जब अकेले कर्नाटक से ही क़रीब 53,000 मज़दूरों ने बिहार वापस जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है. सरकार के इस फ़ैसले का जमकर विरोध हो रहा है. कुछ समाजसेवी और मज़दूर संगठन इसे श्रमिकों के अधिकारों का हनन बता रहे हैं.
Does Karnataka CM think that migrant workers are bonded labour or slaves?
— Geet V (@geetv79) May 6, 2020
If builders paid workers a decent wage, then the migrants would voluntarily come rushing back to work. They cannot be kept captive. #BharatJalaoParty https://t.co/SXt6QuAWEV
उनका कहना है ये कहीं भी आने जाने की स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन है. सरकार का ये फ़ैसला इस ओर इशारा करता है कि सरकार जबरन मज़दूरी कराने की पक्षधर है. उन्होंने ये फ़ैसला रियल स्टेट बिल्डर्स के दबाव में आकर किया है. सोशल मीडिया पर भी लोग इसका विरोध कर रहे हैं:
Holding migrant workers hostage. Dehumanising them. Modern day slavery. Is there anything horrible we won’t do to migrant workers?! Every day seems to be a new low.
— Anisha Padhee (@anishapadhee) May 6, 2020
Karnataka govt cancels inter-state trains for migrant workers because builders express labour concerns
— Faye DSouza (@fayedsouza) May 6, 2020
https://t.co/UvCpQYB6ej
So give is bowing to lobby pressure and forcing people to work. Forced slavery by GOK. @CMofKarnataka wake up you cannot stop anyone travelling; this is called cruel dictator the nick name is Hitler
— ರಾಹುಲ್ (rahul) (@rahulnischal) May 6, 2020
They are toying with these human beings. Lockdown ka entertainment samajhkar rakha hai inko
— Udvas Das (@das_udvas) May 6, 2020
Not one builder came forward to provide food, shelter to migrants these last 40 days. One meeting, and builders and government collude to hold them hostage.
— Prem Panicker (@prempanicker) May 5, 2020
Do the conscienceless dickheads in govt think every migrant in Karnataka is a construction worker? https://t.co/RvN4HoWRpl
How about Karnataka MLAs give “shramdan” for a day as a token gesture and toil under the sun at the construction projects in place of the workers ? Maybe the migrant workers can stop then. Who’s stepping ahead for the noble act? https://t.co/6WMrHQNh9y
— Vaibhav (@Vaibhav_Rptr) May 6, 2020
That's inhuman! It should be their choice! We can't jail them here
— Dharani Jeyaprakasam (@jp_dharani) May 6, 2020
“we’d rather die at home than live like this”
— Revathi Rajeevan (@RevathiRajeevan) May 6, 2020
Karnataka government cancels trains for migrants after talking to builders, says work resumes, why would they want to go back? Ask these labourers living in unhygienic, filthy conditions, without having sent a penny home in 40 days. pic.twitter.com/LtReoEbHZ7
हालाकिं, इस फ़ैसले के बाद आज येदियुरप्पा सरकार ने मज़दूरों को 3000 रुपये कि अतिरिक्त आर्थिक सहायता देने का ऐलान भी किया.
Financial Support for Construction Workers
— B.S. Yediyurappa (@BSYBJP) May 6, 2020
We have decided to provide construction workers with a financial support of Rs.3000 to each of 15.80 lakh registered building workers in the state. This is over and above the Rs.2000 that is already being transferred to their accounts. pic.twitter.com/Fagsiknbdn
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