सपने हर इंसान देखता है, कभी खुली आंखों से तो कभी सोते हुए. ज्यादातर लोग सोते हुए देखे गए सपनों पर यकीन भी करते हैं. जैसे सुबह-सुबह देखा गया सपना सच हो जाता है, ऐसा लोगों का मानना है. लेकिन क्या सच में सपने सच होते हैं? किस्से-कहहिनयों में अक्सर सपनों को सच मान लिया जाता है, और उनपर विश्वास भी आसानी से कर लिया जाता है. लेकिन असल ज़िन्दगी आज के ज़माने में सपनों पर यकीन किया जा सकता है. शायद नहीं, लेकिन हमारे देश में ऐसा ही एक वाक्य हुआ है, जिसमें एक आदमी के सपने पर राज्य सरकार ने भी भरोसा कर लिया है और उस पर एक्शन भी ले सकती है.

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जी हां, कर्नाटक के तुमकुर जिले में रहने वाले 29 साल के प्रद्युमन यादव ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर अपने सपने के बारे में बताया. यादव ने अपने पत्र में लिखा कि उसने अपने पूर्वजों के बंगले के 2 कमरों में खजाना गड़ा होने का सपना देखा है. ये लेटर मिलते ही कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के प्रधान सचिव एलके अतीक ने भी इस पर यकीन कर लिया. सचिव एलके अतीक राज्य के कमिश्नर, पुरातत्व विभाग, म्यूजियम और हैरिटेज विभाग को इस बारे में पत्र लिख कर इसकी सूचना दी. इतना ही नहीं सामाजिक कल्याण मंत्री एच अंजन्या ने कन्नड़ और संस्कृति विभाग को इससे सम्बंधित सभी ज़रूरी निर्देश भी जारी कर दिए.

समाज कल्याण मंत्री अंजन्या ने सीएम को लिखे अपने पत्र में बताया कि प्रद्युमन यादव खुद को श्री किरिसोमेश्वरा वंश का वंशज बताता है. यादव ने ये भी बताया कि उसके पूर्वज गुड्डडा-नेरलाकेरे के शासक थे, जिसका ज़िक्र 700 साल पहले के इतिहास में भी मिलता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चित्तौड़गढ़ जिले के होसदुर्ग ताल्लुक के पास किट्टाडालू और कांचीपुरा के पास यह जगह स्थित है.

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इसके साथ ही यादव ने अपने पत्र मैं लिखा कि 300 साल पहले जब उनके साम्राज्य पर यदुनंदन चित्राभुपाला ने धावा बोला था, तब उन्होंने और उनके पूर्वजों ने बहुत सारी संपत्ति, जिसमें गहने, रत्न, हीरे, जवाहरात आदि अपनी कोठी के 2 कमरों में छुपा दी थी.

इसके बाद यादव लिखते हैं, अब मैंने अपने सपने में वो छुपी हुई दौलत देख ली है और अक्सर मुझको ये सपना आता है. अब मैं ये सारी संपत्ति वहां से निकलवाना चाहता हूं और चाहता हूं कि संपत्ति मिलने के बाद उसका प्रयोग राज्य के विकास कार्यों के लिए किया जाए. इस बारे में यादव ने बीती 16 अगस्त को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और 18 अगस्त को ही प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने इससे संबंधित नोटिस जारी कर दिया.

गौरतलब है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि जब राज्य सरकार ने इस तरह के सपनों पर यकीन किया हो. इससे पहले भी 2013 में डांडिया खेड़ा गांव में छुपे हुए खजाने के नाम पर खुदाई करवाई गई थी. उस वक्त शोभन सरकार नाम के व्यक्ति ने दावा किया था कि उसने सपने में लगभग 1000 टन सोना गड़ा हुआ देखा है. उस वक्त कई दिनों की खुदाई के बाद भी कोई गड़ा हुआ खजाना नहीं मिला था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस खुदाई पर लगभग 1.6 मिलियन रुपये खर्च कर दिए थे.

आज के समय में जब इंसान मंगल तक पहुंच चुका है, उस टाइम में क्या इस तरह के बातों पर यकीन कर कार्यवाही होनी चाहिए. अगर सरकार लोगों की इतनी ही सुनती है तो गरीबों के लिए कुछ क्यों नहीं करती. हर साल बाढ़ में इतने लोगों की जानें चली जाती हैं और मंत्री से लेककर जनता तक सबको पता होता हैं कि बाढ़ आ सकती है तो इससे बचने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाये जाते हैं?

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