जिस देश में महिलाएं आज भी अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही हैं, उस देश में एक महिला के ‘तथाकथित सम्मान’ के लिए, पिछले कुछ महीनों में बहुत सारे लोग एकजुट होकर खड़े हुए हैं. मालिक मुहम्मद जायसी के रचनात्मक काव्य ‘पद्मावत’ के आधार पर संजय लीला भंसाली ने ‘पद्मावत’ बनाई. लेकिन फ़िल्म की रिलीज़ से पहले ही, इसे देखे बिना कईयों की भावनाएं आहात हो गयीं.
300 जगह से कांट-छांट, ‘पद्मावती’ से ‘पद्मावत’ होने के बाद सीबीएफ़सी के हवाले से ख़बर आई कि ये फ़िल्म 25 जनवरी को रिलीज़ होगी. फ़िल्म को देखने को आतुर कुछ दर्शकों ने तो राहत की सांस ली, वहीं दूसरी तरफ़ क्षत्रिय समाज की कुछ महिलाओं ने विरोध को अलग लेवल पर ले जाते हुए जौहर करने की धमकी दे डाली.
लेकिन बेशर्मी और बेदिली की सारी हदें करणी सेना ने सोमवार को पार कर दी. मध्य प्रदेश के रतलाम ज़िले में एक स्कूल में घुसकर ख़ुद को राजपूत कहने वाली करणी सेना के लोगों ने तोड़-फोड़ की. कारण? बच्चों ने ‘पद्मावत’ फ़िल्म के ‘घूमर’ गाने पर नृत्य प्रस्तुति दी.
#MadhyaPradesh: A school allegedly vandalised by Karni Sena after students performed on song ‘Ghoomar’ from #Padmaavat during their annual function earlier today in Ratlam’s Jaora, 1 student injured. Police reached the spot later. pic.twitter.com/ZuQ6K42Yuv
— ANI (@ANI) January 15, 2018
Jaora के St Paul’s स्कूल के वार्षिकोत्सव में करणी सेना के कार्यकर्ता घुस आये और स्कूल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. इन लोगों ने शिक्षकों और अभिभावकों के साथ भी बुरा सुलूक किया.
Jaora के Sub-Divisional पुलिस ऑफ़िसर D.R. Male ने बताया,
करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने शिक्षकों और अभिभावकों के साथ भी अभद्र व्यवहार किया. उन्होंने कुर्सियां तोड़ी और स्टेज को भी नुकसान पहुंचाया. 4 लोगों को अभी तक डिटेन किया गया है और इस मामले की शिकायत दर्ज कर ली गई है.
देवास के District Education Officer ने करणी सेना के निवेदन पर गाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. बाद में इस प्रतिबंध को हटा लिया गया था.
घटना के बाद कई सवाल खड़े होते हैं. शिक्षा के मंदिर में तोड़-फोड़ करने से पहले के इन लोगों के मन में एक बार भी उन मासूमों का ख़्याल नहीं आया? हो सकता है कि इन लोगों का कोई रिश्तेदार स्कूल में ना पढ़ता हो पर बच्चों का कसूर क्या था? कई बच्चों को तो ये भी पता नहीं होगा कि आख़िर ‘पद्मावत’ को लेकर देश में इतनी हिंसा क्यों हो रही है?
ख़ून से लिखी चिट्ठी भेजी, फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक, संजय लीला भंसाली के सिर पर ईनाम रखा, दीपिका की नाक काटने की खुली धमकी दी, लेकिन स्कूल में घुस कर तोड़-फोड़ करने से करणी सेना के कौन से सम्मान की रक्षा हो गई? कुछ वेबसाइट्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, करणी सेना के उत्पात के कारण कुछ बच्चों को चोटें भी आईं.
इससे पहले फ़िल्म के निर्माताओं ने अख़बार में फ़िल्म को लेकर एक पूरे पेज का Clarification दिया. अख़बार के पहले पन्ने पर निर्माता सफ़ाई दे रहे थे. इसमें कई बातें लिखी थीं,
जैसे-
1. फ़िल्म पदमावत जायसी की कविता पर आधारित है और ये काल्पनिक है.
2. फ़िल्म में अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती के बीच कोई ‘Dream Sequence’ नहीं है.
3. हमने राजपूतों की आन-बान-शान को दर्शाने के लिए ये फ़िल्म बनाई है.
4. इस फ़िल्म में रानी पद्मावती को पूरा सम्मान दिया गया है और उनके किरदार को ग़लत तरीके से नहीं दर्शाया गया.
5. फ़िल्म को सीबीएफ़सी ने U/A सर्टिफ़िकेट देकर पास किया है.
फ़िल्म के प्रमोशन की जगह सफ़ाई देते हुए पहली बार किसी को देखा है.
‘पद्मावती’ या रानी पद्मावती नाम की कोई महिला थी या नहीं, इस पर बात नहीं करेंगे. लेकिन अगर वो होती तो अपने जीवन पर हो रहे इतने बवाल को देखकर कभी ख़ुश नहीं होती. हमने राजपूतों के बारे में जितना भी पढ़ा है, उससे तो यही पता चलता है कि राजपूत दूसरों के लिए अपनी ज़िन्दगी न्यौछावर कर देते हैं, क्या इन ‘दूसरों’ वाली श्रेणी में बच्चे और आम लोग नहीं आते? इतना गुस्सा किस बात का है भाई?
अभी तक राजपूत करणी सेना के किसी नेता का इस मामले पर कोई बयान नहीं आया है.