CRPF के वो जवान याद हैं, जिनके साथ कुछ बेवकूफ़, बुज़दिल और बेशर्म लोग मार-पीट और गाली-गलौच कर रहे थे. याद तो होगा ही, उनके पास Loaded Rifles थीं, वो चाहते तो निहत्थों पर वार कर सकते थे. पर ग़ज़ब तो तब हो गया जब ईंट का जवाब पत्थर नहीं, पूरी चट्टान से दिया गया.

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इस घटना के ठीक 2 दिन बाद ही एक और वीडियो सामने आया, जिसमें एक कश्मीरी एक जीप के आगे बंधा दिख रहा है. इस आदमी को ढाल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था, ताकि आर्मी की जीप पर कोई पत्थरबाज़ी न करे. इस वीडियो ने कश्मीर में जल रही आग को और हवा दे दी. आनन-फ़ानन में आला-अधिकारियों ने मामले की जांच के आदेश भी दे दिए.

https://www.youtube.com/watch?v=qiPpFdDb5vE

अब उस आर्मी जीप से बंधे शख़्स का नाम और आर्मी के उन जवानों का भी पता चला गया है. 26 साल के Farooq Dar को 53 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने Protective Shield के तौर पर इस्तेमाल किया, ताकि वे पत्थरों से बच सकें.

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने इस घटना के जांच के आदेश दिए. जांच कर रहे अधिकारियों ने जानकारी दी है कि Farooq, बुड़गाम जिले के सीताहारन का रहने वाला है. जांच के दौरान जो Dar ने बताया वो चौंकाने वाली बात थी. Dar ने कहा कि वो वोट डालने के लिए गया था. वोट डालकर उसे अपनी बहन के घर जाना था. पर जैसे ही वोट डाल कर निकला, उसे जवानों ने ये कह कर पकड़ लिया कि पोलिंग स्टाफ़ को बीरवाह गांव सही-सलामत पहुंचाना है. उस जीप में जवानों के साथ चुनाव कर्मचारी भी थे. 10-12 गांवों में घुमाने के बाद ही Dar को रिहा किया गया.

The Indian Express को दिए बयान में Dar ने कहा:

“मैं पत्थरबाज़ नहीं हूं. मैंने कभी किसी पर भी पत्थर नहीं फेंके. मैं शॉल पर कढ़ाई का काम करता हूं और थोड़ी-बहुत बढ़ई का काम भी जानता हूं.”

The Indian Express में छपी रिपोर्ट के मुताबिक Dar ने शिकायत दर्ज कराने से साफ़ मना कर दिया है. Dar ने कहा ‘गरीब लोग हैं, क्या करेंगे Complain. मैं अपनी 75 साल की बूढ़ी मां के साथ रहता हूं. मैं बहुत डर गया हूं. मेरे साथ कुछ भी हो सकता है. पर मैं निर्दोष हूं, मैंने कभी पत्थरबाज़ी में हिस्सा नहीं लिया.’

Dar का वीडियो बड़गाम जिले के बीरवाह में बनाया गया था. बड़गाम वही जिला है, जहां CRPF के जवानों से मार-पीट की गई थी. इस वीडियो को बहुत Share किया जा रहा है और इसकी कड़ी निंदा की जा रही है.

जो हमेशा होता आया है, वही इस बार भी हुआ है. दोषी आराम से निकल जाते हैं और बेकसूरों को ज़िल्लत और बदसलूकी झेलनी पड़ती है. लोग ये कहते हैं कि गेहूं के साथ घुन तो पिसेगा ही, गालियां अलग देंगे. पर जिसे डर और ख़ौफ की ज़िन्दगी जीनी पड़ती है, उसका दर्द हर किसी के समझ में नहीं आएगा. रही बात Dar और उन CRPF जवानों की तो उनमें सिर्फ़ वर्दी और बंदूकों का अंतर है. अमन और शांति के लिए ये याद रखना ज़्यादा ज़रूरी है कि हम इंसान हैं.