केरल की पहली महिला शिकारी Kuttiyamma का 88 साल की उम्र में निधन हो गया. उनका नाम थ्रेसिया थॉमस था. उनकी शिकारी के किस्से मरयूर में ख़ूब कहे जाते हैं. थोड़ा उनके बारे में भी जान लीजिए.

एक शिकारी परिवार से आने वाली Kuttiyamma के चार भाई-बहन थे. वो कोट्टायम के पलाई में रहती थीं, लेकिन बंटवारे के बाद वो और उनका परिवार इडुक्की के मरयूर में आकर बस गया. उस समय वो महज़ 17 साल की थीं, और Kuttiyamma कर्नाटक के रायचुर में कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ती थीं. उन्होंने अपने परिवार के साथ रहने की वजह से स्कूल छोड़ दिया.

पहली बार शिकार उन्होंने तब किया था जब उनके भाई पर जंगल में एक बाइसन ने हमला कर दिया और जब वो उसे अस्पताल लेकर गईं, तो खर्च का इंतज़ाम करने के लिए अस्पताल के अधिकारियों ने एक जंगली जानवर का मांस या पैसा मांगा था. उन्होंने अपनी पहली ही कोशिश में राइफ़ल से 800 किग्रा के बाइसन को मार दिया और उसका मांस बेच दिया. 

latestly

इन्होंने 1950 और 1965 के बीच क़रीब सौ जंगली हाथियों, बाजों और हिरणों का शिकार कर लिया था. इसमें सांभर हिरण भी शामिल था. इनका मांस बेचकर वो अपने परिवार का ख़र्चा चलाती थीं. इनको राइफ़ल चलाना इनके भाई ने सिखाया था. इस दौरान कोई भी चिनार वन्यजीव अभ्यारण्य नहीं था. पूरे क्षेत्र को अंचुनद पहाड़ियों या मरयूर पहाड़ियों के रूप में जाना जाता था. इसके बाद 1984 में ही क्षेत्र को चिनार वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित कर दिया गया था.

munnarinfo

चिनार रेंज के पूर्व अधिकारी वीके फ़्रांसिस ने TNM को बताया,

Kuttiyamma के परिवार के पास मरयूर में चिनार वन्यजीव अभ्यारण्य के चुरुलीपट्टी क्षेत्र में सात हेक्टेयर भूमि है. इतनी ज़मीन होने के बाद भी जंगली जानवरों के चलते यहां खेती संभव नहीं है.
mathrubhumi

पत्रकार एमजे बाबू ने अपनी बुक ‘Kannan Devan Kunnukal’ (The Hills of Kannan Devan) में इनके बारे में लिखा है कि उस समय, जंगली जानवरों का मारना अपराध नहीं था. वो और उनके भाई-बहन चार साल तक एक गुफ़ा में रहे थे. वो केवल जंगल के फल और पानी पर ज़िंदा थे.

इनके बेटे वीटी जोसेफ़ और बहू शर्लिन ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को दोपहर 3 बजे कोट्टायम में अंकल सेंट एंटनी चर्च में किया गया है.