भवानी अम्मा का नाम 13 साल पहले उस समय सुर्ख़ियों में आया था, जब 62 वर्ष की उम्र में उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया था. उनकी इस ख़ुशी में बड़े-बड़े अख़बारों से ले कर न्यूज़ चैनल तक शामिल हुए थे. क्योंकि उस समय इस उम्र में मां बनने वाली भवानी दुनिया की तीसरी महिला थी, पर उनकी ख़ुशी ज़्यादा समय तक उनके साथ नहीं रही और 2 वर्ष बाद ही उनके बच्चे की मौत हो गई.

भवानी का जीवन काफ़ी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. 22 साल की उम्र में भवानी की शादी हुई, पर शादी के कुछ वर्षों के बाद उनके पति की कैंसर की वजह से मौत हो गई. इस हादसे के कुछ वर्षों बाद भवानी ने दूसरी शादी की, पर इस बार उनकी गोद सूनी रह गई, जिसके बाद उन्होंने अपने पति को दूसरी शादी के लिए राज़ी किया और खुद अलग रहने लगी.

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2002 में भवानी ने Assisted Reproductive Technique के ज़रिये एक 56 वर्षीय महिला के मां बनने की ख़बर पढ़ी, जिसके बाद उन्होंने थिरुवनंतपुरम के समद क्लिनिक से सम्पर्क किया. मई 2004 में भवानी का मां बनने का सपना पूरा हुआ और IVF के ज़रिये उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया.

भवानी ने अपने बेटे का नाम अपने इष्ट देवता Guruvayoorappan के नाम पर Kannan रखा, पर किस्मत को शायद ये सब मंजूर नहीं था. 2004 में उनका बेटा घर में रखे पानी के एक बर्तन में गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई. इसके बाद भवानी अकेली हो गईं और अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए एक वृद्धाआश्रम में आकर रहने लगी.

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हाल ही में पैर में चोट लगने की वजह से 76 वर्षीय भवानी को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया, जहां उनका देहांत हो गया. डॉक्टरों का कहना है कि ‘उन्हें डायबटीज़ था, जिसकी वजह से हम चाह कर भी सर्जरी नहीं कर सकते थे.’

हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि ‘फ़िलहाल उनका शव हॉस्पिटल में रखा हुआ है. हम इंतज़ार कर रहे हैं कि कोई उनका सगा-संबंधी आ कर ले जाए. अगर कोई नहीं आता, तो हम उनका शव वृद्धा आश्रम को सौंप देंगे, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा.’

अपने आखिरी क्षणों में भी वो स्कूल जा कर बच्चों को पढ़ाती थीं.