देश का सबसे ख़ूबसूरत और समृद्ध राज्य है केरल. 8 अगस्त को आई बाढ़ के चलते यहां के लोग त्राही-त्राही कर रहे हैं. हालांकि, विपदा की इस घड़ी में भी केरलवासी देश की गंगा-जमुनी संस्कृति को नहीं भूले. इसी की एक मिसाल पेश की केरल के एक मंदिर ने, जिसने बकरीद के मौके पर नमाज़ पढ़ने के लिए अपने दरवाज़े खोल दिए.
दरअसल, केरल में आई बाढ़ से राज्य के कई ज़िले जलमग्न हो गए हैं. त्रिशूर ज़िला भी उन्हीं में से एक है. ज़िले की प्रसिद्ध कोचुकाडव मस्जिद भी बाढ़ के पानी में डूब गई. कल बक़रीद के मौके पर मुस्लिम समाज के सामने नमाज़ अदा करने की समस्या उत्पन्न हो गई.
उनकी समस्या को समझते हुए ईरावतुर के पुरुपलिकव रक्तेश्वर मंदिर के अधिकारियों ने मंदिर के दरवाज़े खोल दिए. इसके बाद मंदिर के हॉल में सैंकड़ों लोगों ने नमाज़ अदा की. इस मंदिर का इस्तेमाल बीते कई दिनों से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए किया जा रहा है.
मंदिर के एक कार्यकर्ता ने बताया- जब हमें पता चला कि नमाज़ अदा करने के लिए जगह नहीं है, तो हमने अपने सेंट्रल हॉल को Temporary ईदगाह में तब्दील कर दिया. लोगों ने इसके लिए आस-पास से मैट इकट्ठा किए थे.
नमाज़ के बाद सभी लोगों ने बाढ़ पीड़ितों के लिए प्रार्थना भी की. वहीं राज्य के मल्लापुरम ज़िले से भी ऐसा एक और उदाहरण देखने को मिला. यहां की जुमा मस्जिद को हिंदू परिवारों के लिए खोल दिया गया. बाढ़ की वजह से बेघर हुए करीब 26 परिवारों ने मस्जिद में शरण ली है.
इनमें से 17 परिवार हिंदू समुदाय से हैं, जिनकी खान-पान की व्यवस्था मस्जिद की ओर से की जा रही है. किसी ने सही कहा है मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर करना.
दोस्तों विपदा कि इस घड़ी में आपसे अनुरोध है कि जहां तक हो सके, केरल के लोगों की मदद करें.