महिलाओं के लिए सौंदर्य के कुछ पैमाने इस समाज ने तय कर दिए हैं. जैसे लंबे बाल, पतला शरीर वगैरह वगैरह.

The News Minute से बात करते हुए अपर्णा ने कहा, ‘कीमोथेरेपी के बाद बाल खोना बेहद दर्दनाक हो सकता है. मैं बाल उतरवा के उन्हें समर्थन दिखाना चाहती थी और सिर पर बाल न होने को नॉर्मल बनाना चाहती थी.’
ये बच्चे बाल न होने के कारण Bullying का शिकार होते हैं. बीमारी से संघर्ष और ट्रीटमेंट के दर्द के अलावा उनके क्लासमेट्स के ताने, घूरती निगाहें दर्द को बढ़ा देते हैं.
-अपर्णा
अपर्णा ने अपने इस कार्य की पब्लिसिटी न करने का निर्णय लिया था पर लोकल पार्लर ने फ़ेसबुक पर उनकी तस्वीर डाल दी.
मैंने पहले भी अपने बाल डोनेट किए थे, पर मैंने कंधे तक बाल रखकर बाक़ी डोनेट किए थे. इस बार मैं पूरी तरह से उनकी मदद करना चाहती थी. मेरे लिए लुक्स उतना मायने नहीं रखते.
-अपर्णा

थ्रिसूर के रूरल डिस्ट्रिक्ट पुलिस चीफ़, एन. विजयकुमार आईपीएस ने उन्हें बाल मुंडवाने की अनुमति दी और उनके इस क़दम की तारीफ़ भी की.
एन.विजयकुमार ने The News Minute को बताया,
अपर्णा ने 2008 में प्राइवेट अस्पताल से एक मृत शरीर को रिलीज़ करवाने के लिए अपने सोने के कंगन दे दिए थे क्योंकि परिवार के पास उतने पैसे नहीं थे.