फ़रीदाबाद की एक रेज़िडेंट कॉलोनी की 11वीं मंज़िल से एक 13 साल की बच्ची ने जान देने की कोशिश की. ये लड़की कनिष्का टावर्स के 11वें फ़्लोर पर रहने वाली एक 23 साल की लड़की के यहां डोमेस्टिक हेल्प है. जान देने की वजह थी बच्ची की मालकिन का उसके साथ निर्मम और अमानवीय व्यवहार. ये बच्ची एक साल से इस लड़की के यहां काम कर रही थी और पिछले 1 साल से उसके साथ टॉर्चर हो रहा था. उसे कई दिनों से खाना नहीं दिया गया था. बच्ची की पीठ पर मिले निशानों से ये बात तो साफ़ है कि उसे ढंग से नहीं रखा जा रहा था.

लड़की ने जब 11वीं मंज़िल से छलांग लगाई, तो किस्मत से उसके नीचे के फ़्लोर की बालकनी पर नेट लगा हुआ था, जिस पर वो अटक गयी. लोगों ने किसी तरह उसे निकाला लेकिन तब तक वो बेहोश थी. होश आने पर उसने बताया कि उसकी मालकिन उसके साथ टॉर्चर करती है. इस बच्ची की मालकिन ख़ुद एक 23 साल की लड़की है. इसी टावर की 9वीं मंज़िल पर रहने वाली एक फ़ैमिली का कहना है कि उन्होंने कई बार 11वें फ़्लोर से चीखने-चिल्लाने और रोने की आवाज़ें आती थी, जब भी उन्होंने उस लड़की से बात करने की कोशिश की, उसने उन्हें अपने काम से काम रखने की बात कह दी.

कहा जा रहा है कि मालकिन और उसकी डोमेस्टिक हेल्प, दोनों ही पटना से हैं और इस बच्ची के मां-बाप भी उस लड़की के मां-बाप के यहां काम करते हैं. एक 23 साल की लड़की, जो ख़ुद को पढ़ा-लिखा बताती है, क्या उसे इतना नहीं 13 साल की बच्ची को बतौर मेड अपने यहां रखना बाल मज़दूरी है? ऐसा भी नहीं है कि वो एक व्यस्क डोमेस्टिक हेल्प का ख़र्चा नहीं उठा सकती. फ़रीदाबाद के कनिष्का टावर्स में रहने वाला कोई आदमी, इतना पैसा तो कमा ही लेता होगा, जो किसी को पगार दे सके. ऊपर से इस बच्ची के साथ ऐसा निर्मम व्यवहार करना. इंसान पैसे के नशे में इतना चूर कैसे हो सकता है कि किसी को इस तरह से मारे-पीटे?

फ़िलहाल पुलिस का स्टेटमेंट आया है कि उन्हें इस बच्ची के शरीर पर कुछ ताज़े निशान नहीं मिले हैं. जो कि अपने आप में अजीब है. इस बच्ची को शक्ति वाहिनी नाम के एक लोकल NGO की देख-रेख में रखा गया है और उसकी मालकिन के ख़िलाफ़ केस करने की बात की जा रही है.

Update: इस घटना के कुछ ही देर बाद, बच्ची की मालकिन, 23 साल की स्नेहा को गिरफ़्तार कर लिया गया है. स्नेहा, फ़रीदाबाद के एक प्राइवेट कॉलेज की स्टूडेंट है. उस पर Juvenile Justice Act की धारा 75 और 79 के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया है. इसके हिसाब से उसे एक नाबालिग से मज़दूरी करवाने और उसका उत्पीड़न करने के जुर्म में 3 साल तक की जेल और 1 रुपये तक जुरमाना भरना पड़ सकता है. इस पूरे मामले में पुलिस के रवैय्ये की निंदा हुई है.