नॉर्थ कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन कहां है, इस बात की जानकारी किसी को नहीं है. सुप्रीम लीडर की सेहत को लेकर तमाम तरह की अफ़वाहों से बाज़ार गर्म है. लोग सिर्फ़ कयास लगा रहे हैं लेकिन हक़ीक़त से हर कोई अनजान है. माना जा रहा है कि इस तानाशाह की हालत हार्ट सर्जरी के बाद गंभीर बनी हुई है. ऐसे में हर किसी के ज़हन में बस एक ही सवाल है कि उत्तर कोरिया की तानाशाही का नया उत्तराधिकारी कौन होगा?   

ज़्यादातर लोगों की निगाहें किम की 32 साल की बहन Kim Yo-jong पर टिकी हैं. वो काफ़ी समय से सक्रिय राजनीति का हिस्सा रही हैं. अपने भाई के साथ कई महत्वपूर्ण मीटिंग्स में भी शामिल रही हैं, इनमें डॉनल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग के साथ हुई मीटिंग भी शामिल है.  

हालांकि, नॉर्थ कोरिया के शीर्ष नेतृत्व की बागडोर पुरुष ही संभालते आए हैं, लेकिन नेतृत्व की कमान तय करने में ख़ून का रिश्ता भी अहम भूमिका निभाता है. ऐसे में बहुत से लोगों को उम्मीद है कि अगली सुप्रीम लीडर Kim Yo-jong होंगी.  

दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ही उत्तर कोरिया की कमान किम के परिवार के हाथ में है. Kim Yo-jong ने भी राज्य के अंदर काफ़ी समय काम किया है. साथ ही वो परिवार का हिस्सा भी हैं. ऐसे में सत्ता की वो प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं. ये भी ध्यान देने वाली बात है कि किम परिवार के अन्य सदस्यों को या तो इस टाइटर में दिलचस्पी नहीं है या तो उन्होंने पूरी तरह से शासन को नकार दिया है.  

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किम यो जोंग की पढ़ाई-लिखाई स्विटज़रलैंड में हुई है. उन्होंने मैनेजेरियल पोज़िशन से राज्य में काम करना शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे किम जोंग उन के रोजाना के कामकाज में उनकी भूमिका बढ़ती चली गई. ये भी कहा जाता है कि वो अपने भाई को नीतिगत मामलों पर सलाह तक देती हैं. शायद यही वजह है कि वो किम जोंग उन की ‘सीक्रेट डायरी’ के तौर पर मशहूर हैं. फ़िलाहल वो पोलित ब्यूरो कि सदस्य हैं और देश के सबसे महत्वपूर्ण प्रचार एवं आंदोलन विभाग की असिस्टेंट डायरेक्टर भी हैं.  

उत्तर कोरिया के साथ अंतर्राष्ट्रीय परमाणु वार्ता में दक्षिण कोरिया के पूर्व दूत Chun Yungwoo ने कहा कि किम यो जोंग का क़द काफ़ी बढ़ चुका है. अब उन्हें एक महिला के बजाय लीडर के तौर पर देखा जाता है, जिसे दूसरों की तुलना में शासन करने की अधिक वैधता हासिल है. नॉर्थ कोरिया निश्चित तौर पर विश्व के सबसे अधिक पुरुषवादी समाजों में से एक है, लेकिन कोरिया वर्कस पार्ट में सत्ता पर क़ाबिज़ होने में रक्त संबध की भूमिका भी अहम होती है.’  

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विशेषज्ञों की मानें तो किम यो जोंग में सत्ता की दावेदार बनने में सहायक कई और भी महत्वपूर्ण ख़ूबियां हैं. उन्हें पता है कि किस तरीके से कामकाज चलता है. यानि की लीडर का व्यक्तित्व किस तरीके से प्रोजेक्ट किया जाए, ख़ौफ़ के दम पर शासन करना और जनरलों को हमेशा अपनी जूते की नोक पर रखना.  

हालांकि, अभी नॉर्थ कोरिया का भविष्य कुछ तय नहीं है. किम जोंग उन की वापसी होगी या फिर उनकी छोटी बहन किम यो जोंग उत्तराधिकारी बनेंगी और अगर वो सत्ता हासिल करेंगी तो कैसी लीडर साबित होंगी, ये तो बाद में ही पता चलेगा.