देशभर में सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है. ठंड बढ़ने के साथ ही अलमारी में पड़े गर्म कपड़े भी बाहर निकल आये हैं. बात जब लद्दाक (सियाचिन) की हो तो फिर ठंड का अनुमान लगा पाना बेहद मुश्किल होता है. लेकिन सियाचिन में भारतीय सेना के जवान साल भर माइनस 40 डिग्री से माइनस 70 डिग्री सेल्सियस के तापमान में ड्यूटी कर रहे होते हैं.
सियाचिन में जवानों की ज़िंदगी कैसी रहती है हमारे शरीर में इसकी कल्पना मात्र से ही ठिठुरन पैदा हो जाती है. देश के कुछ इलाक़ों में जब गर्मी 50 डिग्री सेल्सियस के पार रहती है, तो सियाचिन में हमारे जवान माइनस 40 डिग्री से माइनस 70 डिग्री के तापमान में ड्यूटी कर रहे होते हैं.
भारतीय जवानों के लिए सियाचिन में काम करना सबसे मुश्किल टास्क होता है. सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा और मुश्किल वॉरज़ोन माना जाता है. क़रीब 21,700 फ़ीट की ऊंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर में तैनात भारतीय जवानों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. लेकिन ये जवान अपनी जान की परवाह किए बग़ैर विपरीत से विपरीत परिस्तिथियों में जाकर देश सेवा करते हैं.
सियाचिन में भारतीय सैनिकों को साल के 12 महीने बर्फ़ में रहकर देश की रक्षा करनी होती है. इस दौरान यहां का तापमान इतना कम होता है कि इंसान का ख़ून तक जम जाता है. ऐसे में जवानों को कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. नहाने के लिए भी जवानों को कम से कम 3 महीने यानि कि 90 दिनों तक इंतज़ार करना पड़ता है.
आइये इन 20 तस्वीरों के ज़रिए जानते हैं हमारे वीर सैनिक कैसे अपनी ड्यूटी करते हैं?