ताजमहल (Taj Mahal) दुनिया के 7 अजूबों में से एक है, जिसे UNESCO ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है. इसे देखने हर साल लाखों सैलानी दूर-दूर से आते हैं. मगर इन दिनों ये किसी और वजह से चर्चा में है. कारण है इसके अंदर बने 22 रहस्यमयी कमरे, इन कमरों के अंदर क्या है, क्यों इन्हें खोला नहीं जाता, इन सभी सवालों के जवाब तलाशने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है.

फ़िलहाल इस पर सुनवाई टल गई है, लेकिन मुद्दा यही है कि आख़िर इन कमरों के अंदर है क्या? ताजमहल के इन 22 कमरों का रहस्य तो इनके खुलने पर ही पता चलेगा, चलिए तब तक इसकी हिस्ट्री के बारे में जान लेते हैं.

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 22 साल में बना था ताजमहल (Taj Mahal)

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ताजमहल मुग़ल बादशाह शाहजहां (Mughal Emperor Shahjahan) ने अपनी पत्नी मुमताज महल (Mumtaz Mahal) की याद में बनवाया था. उन्होंने 1631 में इसका खाका तैयार करवाया और निर्माण कार्य इसके अगले साल शुरू हुआ. इसे बनने में पूरे 22 साल लग गए. 1653 में बनकर तैयार हुए ताजमहल को 22,000 श्रमिकों ने बनाया था.

इस राजा से ली थी शाहजहां ने ज़मीन

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वहीं इस ताजमहल (Taj Mahal) को शिव मंदिर या ‘तेजोमहालय’ बताने वाले लोगों का तर्क है कि शाहजहां ने ये ज़मीन 1632 में राजा जय सिंह से ली थी. राजा जयसिंह के पूर्वज राजा परमर्दी देव ने 1212 ई. में इस पर ‘तेजोमहालय’ बनवाया था. सालों तक ये मंदिर बरकरार रहा और उनके सभी उत्तराधिकारी वहां पूजा पाठ करते रहे. कहा जा रहा है कि ताजमहल के अंदर जो 22 कमरे हैं उन्हीं के अंदर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी गई हैं. ताजमहल बनाते समय उन्हें कमरों में बंद कर दिया गया था.

इस लेखक ने भी उठाए थे सवाल

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ताजमहल के इतिहास से जुड़ी एक दूसरी थ्योरी भी है. 70 के दशक में ताजमहल के मंदिर होने के विवाद ने तूल पकड़ा था. तब पुरुषोत्तम नागेश ओक की एक क़िताब आई थी जिसका नाम था The Taj Mahal Is A Temple Palace. इस बुक में दावा किया गया था कि ताजमहल वास्तव में एक मंदिर है. पी.एन. ओक ने अपनी इस किताब में इस संदर्भ में कई तर्क भी दिए थे. जैसे किसी भी मुस्लिम इमारत के साथ महल शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है. ताज और महल दोनों ही संस्कृत के शब्द हैं. एक मकबरे को संस्कृत नाम क्यों दिया जाएगा.

मकबरे में जाते समय जूते उतारना अनिवार्य नहीं है  

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उनका कहना था कि संगमरमर की सीढ़ियों से पहले जूते-चप्पल उतारने की परंपरा है, जो हिंदू धर्म में मंदिर में प्रवेश करने से पहले ऐसा करना सदियों से होता आ रहा है. मकबरे में जूते उतारने की अनिवार्यता नहीं रही है. ओक का कहना है कि ताजमहल परिसर में सैंकड़ों कमरे हैं बने हुए हैं, एक कब्र के पास इतने कमरे कहीं बने नहीं मिलते.

108 कलश क्यों बने हैं इसकी जाली में

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वो कहते हैं कि संगमरमर की जाली में 108 कलश बने हैं. हिंदू मंदिर परंपरा में भी 108 की संख्या को पवित्र माना गया है. ओक का दावा है कि यहां पर शिव मंदिर था जिसमें अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे. ताजमहल नाम भी ‘तेजोमहालय’ से लिया गया है. ताजमहल के पश्चिम में कई उपभवन हैं, जिनका मकबरे के साथ होना असंगत लगता है. 

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बताया जाता है कि ताजमहल के 22 कमरों को आख़िरी बार 1934 में खोला गया था, लेकिन कुछ सामने नहीं आया था. 2017 में भी ताजमहल को ‘तेजोमहालय’ बताया जा रहा था, तब Archaeological Survey of India (ASI) ने इसे नकारते हुए कहा था कि ताजमहल में कोई भी मंदिर या शिवलिंग नहीं है.