समाज को आप क्या देना चाहते हैं और क्या नहीं, इसका आपके अमीर या गरीब होने से कोई मतलब नहीं होता है. आप अपने काम से समाज में बदलाव लाने की कोशिश कर सकते हैं. किसी की मदद करना ही सामाजिक ज़िम्मेदारी नहीं होती है. पर ये भी सच है कि हमारा हर वो छोटा क़दम जो किसी की भलाई के लिए उठाया गया हो, पूरे समाज के लिए हितकारी हो सकता है. किसी की सोच बदलने से हमें पहले ख़ुद की सोच बदलनी होगी. हमारी ऐसी ही छोटी-छोटी पहल की वजह से हम एक अच्छे और सभ्य समाज की कल्पना कर सकते हैं. कोलकाता में भी एक ऐसे ही टैक्सी ड्राइवर हैं, जिन्होंने अपनी अलग सोच के कारण लोगों के नज़रिये को बदलने का काम किया है.

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धनंजय चक्रवर्ती पेशे से टैक्सी ड्राइवर हैं. लेकिन सोच समाज को कुछ देने की रखते हैं. धनंजय को प्रकृति से बेहद प्यार है. वो 5 साल पहले उस वक़्त सुर्ख़ियों में आये थे जब उन्होंने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अपनी टैक्सी की छत पर घास उगानी शुरू की थी. उनकी इस शानदार पहल को लोगों ने ख़ूब सराहा था. धनंजय ग्राहकों की पसंद और नापसंद को ध्यान में रखते हुए अपनी टैक्सी को आकर्षक और साफ़-सुथरा रखते हैं. उन्होंने अपनी एक नयी टैक्सी को भी कोलकाता के इतिहास, परंपरा, कल्चर और वहां के प्रसिद्ध लोगों की शानदार कलाकृतियों से सजाया है. यही वजह है कि धनंजय कोलकाता में बेहद पॉपुलर हो गए हैं. धनंजय की इस नेक पहल के बाद लोग उनको सोशल मीडिया पर ‘Bapi Green Taxi’ के नाम से जानने लगे हैं.

बच्चों के बीच स्मार्टफ़ोंस के बढ़ते क्रेज़ को देखते हुए धनंजय ने एक और नई पहल की शुरुआत की है. हाल ही में उन्होंने अपनी टैक्सी में बैठने वाले लोगों और उनके बच्चों के लिए बांग्ला भाषा वाली कॉमिक्स रखनी शुरू की है, ताकि बच्चों को स्मार्टफ़ोंस की लत से बचाया जा सके. उनकी टैक्सी में न सिर्फ़ बच्चों, बल्कि बड़ों के लिए भी हर तरह की कॉमिक्स और मैगज़ीन्स मौज़ूद होती हैं. उन्होंने इसके लिए कार की पिछली सीट पर एक बुक रैक बनायी है ताकि सवारी अपनी मनपसंद के हिसाब से क़िताब या कॉमिक्स पढ़ सके.

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धनंजय ने कहा कि मेरे दिमाग़ में कॉमिक्स वाला आईडिया उस वक़्त आया, जब एक बार टैक्सी में सवार एक बच्चे से मैंने पूछा कि क्या आप कॉमिक्स कैरेक्टर ‘Batul the great’, ‘Handa Bhonda’ और ‘Nonte Fonte’ के बारे में जानते हैं? अपने फ़ोन पर स्क्रॉल करते हुए बच्चे ने कहा नहीं! बच्चे के जवाब से मुझे निराशा हुई, क्योंकि 90 के दौर में जब हम बच्चे हुआ करते थे, तो इन कॉमिक्स को पढ़ने के लिए बेताब रहते थे. बस उस दिन से मैंने अपनी कार के डैशबोर्ड को कॉमिक्स और किताबें रखने की जगह बना दी. मुझे फ़र्क नहीं पड़ता कि सवारी 5 किमी की यात्रा कर रही है या 15 किमी की. पर मैं चाहता हूं कि इस दौरान वो कॉमिक्स या क़िताबें पढ़ें, जिससे उनकी स्मार्टफ़ोंस की लत कम हो सके. जिन सवारियों को ये कॉमिक्स पसंद आती हैं, मैं उन्हें आधे रेट पर बेच भी देता हूं.

नंदिनी दासगुप्ता ने कहा कि ‘धनंजय की टैक्सी में सवारी करना शानदार अनुभव था. मेरा बेटा पहली बार बांग्ला भाषा वाली कॉमिक्स से परिचित हुआ.’

राजीव वर्मन ने कहा कि ‘मैंने अपनी ज़िन्दगी में इतना क्रिएटिव टैक्सी ड्राइवर पहले कभी नहीं देखा. इस टैक्सी में सवारी करने का मज़ा कुछ अलग ही है.’

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