किसान आंदोलन का समर्थन और श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली एक्टिविस्ट नोदीप कौर को चंडीगढ़ हाईकोर्ट से ज़मानत मिल गई है. उन्हें 12 जनवरी को एक कंपनी का घेराव करने के दौरान हुई झड़प के बाद गिरफ़्तार किया गया था. नोदीप ने अपनी ज़मानत याचिका में पुलिस कस्टडी में बुरी तरह टॉर्चर किए जाने के आरोप लगाए हैं.
नोदीप कौर मज़दूर अधिकार संगठन की सदस्य हैं और पंजाब के मुक्तसर ज़िले के गियादढ़ गांव की रहने वाली है. 12 जनवरी को उन्होंने एक कंपनी का घेराव किया था, मज़दूरों के वेतन से जुड़े मुद्दे को लेकर. कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में हुए इस विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी.

इसके बाद नोदीप कौर को गिरफ़्तार कर लिया गया था. पुलिस ने उन पर हत्या का प्रयास और जबरन वसूली के आरोप लगाए थे. सोनीपत पुलिस के अनुसार इस झड़प में एक महिला कॉन्स्टेबल समेत 7 पुलिसवाले घायल हो गए थे. नवदीप कौर ने अपनी ज़मानत याचिका में बताया कि उन्हें पुलिस कस्टडी के दौरान बुरी तरह टॉर्चर किया गया.

नवदीप ने बताया कि सोनीपत पुलिस ने उन्हें बिना किसी महिला कॉन्स्टेबल के ही गिरफ़्तार किया. पुलिस ने उनके बाल पकड़ कर ज़मीन पर घसीटा. बुरी तरह पीटा और उनसे जबरन कोरे काग़ज पर साइन करवाए गए.

वहीं उनके बाद गिरफ़्तार हुए दूसरे आंदोलनकारी शिव कुमार ने भी बताया कि उनके बाएं हाथ और दाहिने पैर में फ़्रैक्चर है. पुलिस कस्टिडी के दौरान उनके नाख़ून निकाले गए और अन्य प्रकार की कई चोटें भी आईं. उनके पिता ने ज़मानत के हलफ़नामे में पुलिस पर बेटे को बुरी तरह टॉर्चर किए जाने के आरोप लगाए हैं.

ये दोनों फ़िलहाल करनाल जेल में बंद हैं. ज़मानत मिलने के बाद इनके रिहा होने का रास्ता साफ़ हो गया है. वहीं पुलिस ने इस तरह के सभी आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें निराधार बताया है.