राजस्थान में जयपुर के पास स्थित नींदड़ गांव के किसान इन दिनों भू-सत्याग्रह कर रहे हैं और उन्होंने अपने इस आंदोलन को ‘ज़मीन समाधि सत्याग्रह’ नाम दिया है. ये अपने आप में पहला ऐसा भू-सत्याग्रह है, जिसमें किसानों ने धरने पर बैठने के बजाये, खुद को ज़मीन में गर्दन तक गाड़ रखा है.
#Rajasthan: Farmers in #Neendar village bury themselves partially in pits to protest acquisition of their lands by JDA for housing projects pic.twitter.com/klLLyR8Dql
— ANI (@ANI) October 4, 2017
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये सत्याग्रह जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (JDA) के हाउसिंग प्रोजेक्ट के विरोध में है, जिसके अंतर्गत इन किसानों की ज़मीनें अधिकृत की जा रहीं हैं.
बीते बुधवार को इस आंदोलन को 4 दिन हो चुके हैं. इस आंदोलन पर गांव के किसानों का कहना है कि इस तरह से वो प्रतीकात्मक तरीके से अपनी स्थिति को दिखा रहे हैं. क्योंकि अगर हमारे पास ज़मीन नहीं होगी तो हम कैसे गुज़ारा करेंगे. प्राधिकरण के विरोध में पुरुष और महिलाएं करीब पांच से छह फुट गहरे गड्ढे खोदकर उसमें धरना दे रहे हैं.
नींदड़ बचाओ किसान युवा समिति (NBKYS) के अध्यक्ष, नरेंद्र सिंह ने कहा, ‘इस मुद्दे पर दो पार्टियों का अभी तक समझौता नहीं हो पाया है. शहरी विकास और आवास मंत्री श्रीचंद क्रिप्लानी से मिलने के बाद हमने जेडीए आयुक्त के सामने प्रस्ताव रखा कि कुछ ख़ास और महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर से ज़मीन का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि कोई भी निर्णय लेने से पहले जेडीए ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक दिन का वक़्त मांगा है.’
सिंह ने कहा कि नींदड़ के किसानों ने 14 दिन पहले ये आंदोलन शुरू किया था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमने ‘ज़मीन समाधि सत्याग्रह’ का सहारा इसलिए लिया है क्योंकि ये अपने आप में एक अलग तरह का आंदोलन है और इसके ज़रिये हम सरकार का ध्यान इन गरीब किसानों की स्थिति और शिकायतों की ओर लाना चाहते हैं. जब तक सरकार हमारी मांगों से सहमत नहीं होती है, तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा.”
NBKYS के अध्यक्ष ने बताया कि आंदोलन कर रहे किसान पूरे वक़्त गड्ढे के अंदर ही बैठे हैं, वो केवल तब बाहर आये हैं, जब उनको मूत्र या मल विसर्जन करना होता है और ये तो ज़रूरी काम हैं, इनके लिए तो बाहर आना ही पड़ेगा. बीते मंगलवार को आंदोलन में बैठी दो महिलायें बेहोश हो गयीं थीं.
जनवरी 2011 में घोषित इस योजना के अनुसार, तकरीबन 372 हेक्टेयर ज़मीन पर नींदड़ आवासीय योजना बसाई जानी है. इसलिए इसके लिए जेडीए ने 1,300 बीघा भूमि का अधिग्रहण करने की योजना बनाई है, जो कि 1,100 बीघा है, जो निजी तौर पर स्वामित्व वाली ज़मीन है. इसके तहत अभी तक 600 बीघा ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया गया है और अधिग्रहीत भूमि के लिए अदालत में 60 करोड़ रुपये भी जमा किए हैं.
जेडीए की प्रस्तावित नींदड़ आवासीय योजना में करीब 10,000 घर बनाये जाएंगे. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्राधिकरण के इस फ़ैसले से करीब 18 हजार किसान प्रभावित होंगे.
गौरतलब है कि इस परियोजना के तहत प्राधिकरण ने 2010 में किसानों को नोटिस जारी किया था. तब भी किसानों द्वारा इसका विरोध किया गया था, जिसके बाद ये मामला शांत हो गया था और बीते सात सालों तक ठंडे बस्ते में रहा. मगर अब एक बार फिर से किसानों पर जमीनें देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और किसानों ने इसका विरोध करने के लिए इस बार ये तरीका अपनाया है. ये आंदोलन गांधी जयंती यानी कि 2 अक्टूबर को शुरू हुआ था.