आपने इंसानों को गुदगुदी लगते तो देखा होगा. शायद ख़ुद भी किया हो. लेकिन क्या कभी पेड़ों के साथ भी ऐसा होते हुए देखा है? मतलब कभी ऐसा कोई पेड़ देखा है, जिसे आप हलका सा छुएं और वो एकदम ही गुदगुदा जाए. 

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अगर नहीं, तो फिर आज आपको एक नहीं, बल्कि दो ऐसे पेड़ देखने को मिलेंगे. ये अनोखे पेड़ उत्तराखंड के कालाढूंगी के जंगल में पाए जाते हैं, जिनको लेकर लोगों का दावा है कि इन्हें सहलाने पर गुदगुदी होती है.

लोग इन्हें लॉफ़िंग ट्री बुलाते हैं

लोग इन पेड़ों को लॉफ़िंग ट्री के नाम से जानते हैं. कालाढूंगी में इन पेडों को ‘थनेला’ नाम से जाना जाता है जबकि, इन पेड़ों को वानस्पतिक रुप से ‘रंडिया डूमेटोरम’ नाम दिया गया है. रूबीएसी प्रजाति के ये पेड़ क़रीब 300 से 1300 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं.

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इन पेड़ों की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि अगर इस पेड़ के तनों को सहलाया जाए तो पेड़ की टहनियां हिलने लगती हैं. यही वजह है कि इन्हे ‘हंसने वाला पेड़’ कहा जाता है. बता दें, गुदगुदाने वाले पेड़ के अलावा एक कांपने वाला पेड़ भी मौजूद है, जो रामनगर के क्यारी जंगल में है. 

हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक़, वन विभाग के पास इसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है. वन विभाग के एक अधिकारी ने स्थानीय लोगों की बात को माना ज़रूर है कि पेड़ को सहलाने या गुदगुदी करने पर उसकी टहनियां कथित तौर पर हिलने लगती हैं, लेकिन उन्होंने हंसने शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. 

पर्यटकों का आकर्षण बन चुके हैं ये पेड़

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अब जहां ऐसे अनोखे पेड़ हों, वहां पर्यटकों का आकर्षित होना तो लाज़मी है. ऐसे में कालाढूंगी के इन दो पेड़ों को कार्बेट ग्राम विकास समिति ने पर्यटन से जोड़ा है. यहां आने वाले पर्यटक इन पेड़ों को गुदगुदाना कभी नहीं भूलते. इन गुदगुदी वाले पेड़ों को दिखाने के लिए बाक़ायदा समिति के गाइड जाते हैं. 

बता दें, एक तरफ़ इन पेड़ों ने पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. वहीं, दूसरी ओर तमाम शोधकर्ता भी इन पेड़ों की अनोखी हरकतों का कारण पता लगाना चाहते हैं. शोधकर्ताओं की टीम इस पर रिसर्च भी कर रही है कि आखिर हाथ फेरने से क्यों इन पेड़ों की टहनियां हिलने लगती है. हालांकि, अभी इसका सही कारण पता नहीं लग पाया है.