बहुत शुक्रिया जो आपने इस न्यूज़ को पढ़ने के लिए समय निकाला. आज हम देश की सबसे ज़रूरी और बढ़ी ख़बरों पर बात करेंगे. नहीं, ये दीपिका पादुकोण के बारे में नहीं है. ये वो मुद्दे हैं, जो वास्तव में इस देश के नागिरकों की ज़िंदगी पर असर डालते हैं, लेकिन इसके बावजूद मेन स्ट्रीम मीडिया से ग़ायब हैं.
1. सबसे पहले बात किसानों के विरोध की
हाल ही में संसद से 3 विवादित कृषि बिल पास हुए हैं, जिनके विरोध में पूरे उत्तर भारत में किसान सड़कों पर उतर आए हैं. तमाम किसान इन बिलों का विरोध कर रहे हैं. रेल पटरियों पर किसान बैठ गए हैं, जिसके चलते कई ट्रेनें भी कैंसल करनी पड़ी हैं. लेकिन इन सबके बावजूद मेन स्ट्रीम मीडिया में ये मुद्दा ग़ायब है.
In Punjab, farmer unions began a three-day ‘rail roko’ protest at six different locations in the state with 1,000 to 1,500 farmers sitting on the tracks at each protest site.#BharatBandh @suryapsingh_IAS@HansrajMeena pic.twitter.com/rZL1ON5Z6B
— Hafiz Anis (@AnisHafiz7861) September 25, 2020
India off is revolution, fiery protest against the govt, atrocities with the farmers oppression of the BJP’s rule harassing farmers, farmers are committing suicide, the govt is busy filling the pockets of the capitalists.
— Ram Holkar (@RamHolkar) September 25, 2020
Jai kisan@HansrajMeena#IsupportBharatBandh #BharatBandh pic.twitter.com/czJB57i18I
Farmers hold protest near Mysore Bank Circle in Bengaluru #KisaanFightsForRight pic.twitter.com/lJz5DlBjOq
— Prabh (@ItsPrabh_here) September 25, 2020
Farmers block the Delhi-Meerut highway in Modinagar area of Ghaziabad during protest against #FarmBills#FarmersProtest pic.twitter.com/VpbvdIOiw5
— NDTV (@ndtv) September 25, 2020
Punjab: Farmers continue their ‘rail roko’ agitation in Amritsar to protest against #FarmBills (news agency ANI) pic.twitter.com/vQyoUafMvQ
— NDTV (@ndtv) September 25, 2020
2. सरकार को नहीं पता कि कितने मज़दूरों की हुई मौत और कितनों के गए रोज़गार
ये जानकारी ख़ुद केंद्र सरकार ने पार्लियांमेंट में दी है. सरकार ने संसद में कहा कि लॉकडाउन के दौरान कितने मज़दूरों की मौतें हुईं इसका कोई डेटा या लेखा-जोखा नहीं है. मुआवज़े पर उठे सवाल पर श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने कहा कि जब डेटा है ही नहीं, तो इसका सवाल ही नहीं उठता.
सिर्फ़ इतना ही नहीं, सरकार को ये भी नहीं पता कि लॉकडाउन के दौरान कितने लोगों का रोज़गार गया है. जबकि World Bank की एक रिपोर्ट के अनुसार, 25 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन की वजह से क़रीब 40 मिलियन मज़दूरों की नौकरी गई. वहीं, एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक़, अप्रैल में 121.5 मिलियन लोगों की नौकरी गई.
3. सरकार ने किया GST कंपनसेशन सेस का दूसरी जगह किया इस्तेमाल: CAG
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में ये खुलासा किया गया है कि सरकार ने जीएसटी लागू होने के बाद, शुरुआती दो साल मुआवज़ा, 47,272 करोड़ रुपये जो कि सेस की मदद से मिले थे, उनका इस्तेमाल दूसरे उद्देश्यों के लिए किया, जो जीएसटी कंपनसेशन सेस एक्ट का उल्लंघन है. इस राशि का इस्तेमाल राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए ही किया जाना था.
CAG ने कहा है कि केंद्र ने इस राशि का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए किया, जिससे साल के दौरान राजस्व प्राप्तियां बढ़ गईं, जबकि राजकोषीय घाटे को कम कर के दिखाया गया. CAG का कहना है कि ये प्रक्रिया सही नहीं है और वित्त मंत्रालय को इस संबंध में तत्काल सुधार का क़दम उठाना चाहिए.
4. नौकरी के लिए युवा पीट रहे ताली-थाली
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के मुताबिक़, देश की जीडीपी में पिछले 40 सालों में सबसे बड़ी गिरावट 23.9 फ़ीसदी दर्ज की गई है. सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के आंकड़ों के मुताबिक़, भारत की शहरी बेरोज़गारी दर 8.32 फ़ीसद के स्तर पर चली गई. इस लॉकडाउन में भी सबसे ज़्यादा असर 15 से 24 साल के लोगों पर पड़ा है.
#rrbexamdate #SpeakUpFor69000Teachers pic.twitter.com/UUngYGNkCv
— BEROZGAR YOGENDRA SINGH (@YOGENDR24091300) September 5, 2020
वो मुद्दों से भटकाएंगे…
— Monu Shankhwar (@Monushankhwar7) September 5, 2020
तुम GDP अर्थव्यवस्था बेरोजगारी व नौकरी पर अड़े रहना…#5बजे5मिनिट #5Baje5Minute pic.twitter.com/JpLz0AUHKE
@suryapsingh_IAS https://t.co/QPPbe6n05O
— kuvijay (@vijayku63447005) September 5, 2020
यही वजह है कि नाराज़ युवा कभी 5 बजकर 5 मिनट पर तो कभी 9 बजकर 9 मिनट पर ताली-थाली पीटने को मजबूर हैं. बेरोज़गार युवा देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं. इतना ही नहीं, नाराज़ युवाओं ने 17 सितंबर को प्रधानमंत्री के जन्मदिन को राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस के रूप में मनाया. पीएम मोदी के जन्मदिन पर सोशल मीडिया पर #NationalUnemploymentDay या #राष्ट्रीय_बेरोज़गार_दिवस नंबर वन पर ट्रेंड कर रहा था.
#राष्ट्रीय_बेरोजगारी_दिवस#NationalUnemploymentDay @PMOIndia @narendramodi
— Banavari Lal Meena (@BanavariMena) September 17, 2020
Making full use of the money of the people who call themselves fakirs
No idea how many employment opportunities could be created in this amount.. pic.twitter.com/2msj9Nl7Py#राष्ट्रीय_बेरोजगारी_दिवस pic.twitter.com/MvMJMtJAGl
Promised 2 Crore Jobs Per Year But Made 12 Crore Jobless !
— Anand Desai (@iamAnanddesai) September 17, 2020
Wah ! Congratulations @narendramodi ji@PMOIndia#राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस#NationalUnemploymentDay #NationalUnemploymentDay pic.twitter.com/sZcRKd8Gn4
#राष्ट्रीय_बेरोजगारी_दिवस #राष्ट्रीय_बेरोजगारी_दिवस
— Amit Kumar (@AmitKum80472348) September 17, 2020
Happy Birthday to the creator of National Unemployment.
The best ever salesman of Govt. Companies.
World’s best Actor who accidentally became a politician@PMOIndia
@narendramodi#NationalUnemploymentDay pic.twitter.com/VMoPZwizzS
अगर आपने यहां तक पढ़ा तो अपनी पीठ थपथपाइए. आप देश की मुख़्य समस्याओं से थोड़ा-सा अवगत हो गए हैं.
ये आर्टिकल ScoopWhoop के इस ओरिजनल आर्टिकल से प्रेरित है.