प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना वायरस के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए 24 मार्च को देशभर में लॉकडाउन की घोषणा की थी. लॉकडाउन के चलते देश के 1.3 बिलियन लोगों को 14 अप्रैल तक घरों में ही रहना होगा. 

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लॉकडाउन के बाद से ही देश के हालात अस्थिर नज़र आ रहे हैं. वर्तमान में देश की खाद्य पदार्थों का निर्माण करने वाली अधिकांश कंपनियों का प्रोडक्शन या तो पूरी बंद हो चुका है या फिर बंदी के कगार पर है. लॉकडाउन के चलते अधिकतर मजदूर अपने घरों को लौट चुके हैं. इन हालातों में जिन कंपनियों में थोड़ा बहुत प्रोडक्शन हो भी रहा है लॉकडाउन के चलते उन आवश्यक वस्तुओं को लोगों तक पहुंचाने में समय लग रहा है. 

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निजी कंपनियों के बंद होने के चलते खाने-पीने की कई आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन 90 फ़ीसदी कम हो गया है. देश की अधिकतर मैन्युफ़ैक्चरिंग कंपनियों को निर्माण, श्रमिकों की कमी और सड़कों पर फंसे ट्रकों की कमी से जूझना पड़ रहा है. 14 अप्रैल तक हालात ऐसे ही बने रहे तो लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. 

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लॉकडाउन के चलते कई राज्यों ने अपनी सीमाओं को पूरी बंद कर दिया है ऐसे में सड़कों पर ट्रकों के फंसने की समस्या भी सामने आ रही है. कारखानों से ट्रक माल लेकर लेकर आपूर्ति केंद्रों के लिए निकल तो रहे हैं, लेकिन बॉर्डर सील होने के चलते वो हफ़्तों तक सड़कों पर खड़े हैं. ऐसे में कुछ ट्रक वाले वाहन छोड़ पने घरों को भाग चुके हैं . 

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Bloomberg से बातचीत में देश की एक जानी मानी ‘फ़ास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स’ बनाने वाली कंपनी के सीनियर एग्जिक्यूटिव का कहना है कि घरेलु सामान, जैसे पैकेज्ड फ़ूड आइटम्स, साबुन और डिटर्जेंट का उत्पादन सामान्य स्तर से 10 प्रतिशत कम पर चल रहा है. 

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पैक्ड आटा बनाने वाली एक कंपनी के अधिकारी का कहना है कि देश के अधिकतर कारखाने इस समय 40 प्रतिशत क्षमता पर चल रहे हैं. 

खाद्य तेल रिफ़ाइनरियां का कहना है कि वो 50 प्रतिशत से भी कम क्षमता पर काम कर रही हैं. 

देश की एक प्रमुख बिस्कुट निर्माता कंपनी के अधिकारी का कहना था कि वर्तमान क्षमता का उपयोग 20 प्रतिशत है. 

BloombergQuint से बातचीत में भारत की सबसे बड़ी डेयरी सहकारी संस्था ‘अमूल’ के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी ने कहा कि फ़िलहाल उनकी स्थिति अन्य कंपनियों से बेहतर है. हमारे पार उत्पादन जारी रखने के लिए राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त है और हम पूरी क्षमता से काम कर रही हैं. 

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‘गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड’ के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ विवेक गंभीर ने कहा कि आवश्यक वस्तुओं की सुविधाएं तो चल रही हैं, लेकिन पूर्ण क्षमता के साथ नहीं. फिलहाल हमारे कुछ कारखानों को कम मात्रा में आवश्यक स्वच्छता उत्पादों को बनाने की अनुमति मिली है. इन आवश्यक वस्तुओं को को वितरित करने की अनुमति CFAs को दी गयी है.

नेस्ले इंडिया लिमिटेड ने 24 मार्च को एक बयान जारी कर कहा था कि ‘देश भर के कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लॉकडाउन के चलते कुछ स्थानों (विनिर्माण, वितरण केंद्रों/गोदामों, कार्यालयों) में संचालन आपूर्तिकर्ताओं) को निलंबित कर दिया गया है. कंपनी कारखानों/वितरण केंद्रों में परिचालन जारी रखने के लिए उच्च अधिकारियों के साथ चर्चा कर रही है. 

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हालांकि, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वारा पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आश्वासन दिया था कि आवश्यक वस्तुओं की मैन्युफ़ैक्चरिंग इकाइयां इससे प्रभावित नहीं रहेंगी. 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर स्पष्ट करने का प्रयास किया था. इस दौरान आवश्यक खाद्य पदार्थों की एक सांकेतिक सूची जारी कर राज्यों से ये सुनिश्चित कराया कि उनके पास आवश्यक खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए पूरी अनुमति है. 

आइये जानते हैं वो कौन कौन से आवश्यक खाद्य पदार्थ हैं जिन पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गयी है-   

फल और सब्जियां चावल.


गेहूं का आटा अन्य अनाज और दालें, चीनी और नमक.

मसाले और मसाला बेकरी और डेयरी (दूध, दूध उत्पाद).

चाय और कॉफ़ी. 

अंडे, मांस और मछली.

खाद्य अनाज, तेल, मसाला और खाद्य सामग्री.

नवजात/शिशु भोजन.

आहार पशु चारा/पेट भोजन.

पैक खाद्य और पेय पदार्थ हेल्थ सप्लीमेंट, पोषक तत्व, विशेष चिकित्सा उद्देश्य के लिए विशेष आहार. 

उपर्युक्त उत्पादों के लिए खाद्य वितरण सेवाएं और ई-कॉमर्स.

खाद्य उत्पादों का भंडारण और भंडारण सभी कच्चा माल, पैकेजिंग सामग्री आदि.

ईंधन, कोयला, चावल की भूसी, डीजल/भट्टी का तेल और अन्य जो मैन्युफ़ैक्चरिंग और कारखानों को चलाने के लिए आवश्यक हैं.