लॉकडाउन के बीच हमने कुछ पुलिसवालों की बर्बरता और क्रूरता की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर देखीं. ऐसी ही एक घटना सामने आई है मध्य प्रदेश के बैतूल से.
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The Wire की रिपोर्ट के मुताबिक़, 23 मार्च को वक़ील दीपक बुंदेले इलाज करवाने सरकारी अस्पताल जा रहे थे और रास्ते में पुलिसवालों ने उन्हें पीट दिया.
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मैंने कहा कि उन्हें संविधान का पालन करना चाहिए और मैं आईपीसी की धारा 188 के अंतर्गत डिटेन होने के लिए तैयार हूं अगर पुलिस चाहती है तो. ये सुनकर पुलिस वाले ने अपना आपा खो दिया और मुझे और भारतीय संविधान को बुरा-भला कहने लगा. कुछ ही देर में कई पुलिसवाले पहुंच गये और मुझे डंडों से मारा.
-दीपक बुंदेले
बुंदेले का आरोप है कि जब उन्होंने बताया कि वो वक़ील है तब पुलिसवालों ने उन्हें मारना बंद किया लेकिन तब तक उनके कान से ख़ून निकलने लगा था. बुंदेले ने अपने भाई को बुलाया और अस्पताल जाकर MLC (Medicolegal) रिपोर्ट बनवाई.
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पहले उच्च अधिकरियों ने कहा कि अगर मैं केस वापस ले लेता हूं तो वे माफ़ीनामे का स्टेटमेंट जारी कर देंगे. फिर कुछ ने ये भी कहा कि अगर मैं और मेरा भाई शांति से वक़ालत करना चाहते हैं तो मुझे केस वापस ले लेना चाहिए.’
-दीपक बुंदेले
बुंदेले टस से मस नहीं हुई. 24 मार्च को एसपी के पास दर्ज की गई शिकायत में उन्होंने FIR दर्ज करवाने का आग्रह किया था. इस सिलसिले में 17 मई को कुछ पुलिसवाले उनके घर पर आये और तब उन्होंने बताया कि पुलिसवालों ने बुंदेले को मुसलमान समझ लिया था.
पुलिसवालों को मेरा बयान दर्ज करने में 5 मिनट से ज़्यादा का समय नहीं लगता पर उन्हें 3 घंटे लगे क्योंकि वे मुझे शिकायत वापस लेने को कह रहे थे.
-दीपक बुंदेले
The Week की रिपोर्ट के अनुसार, 17 मई को कोतवाली थाने के एएसआई बी.एस.पटेल और उनका एक साथी बुंदेले के घर पहुंचे. बुंदेले ने उनके साथ हुई बात-चीत रिकॉर्ड कर ली.
The Wire ने बातचीत का कुछ हिस्सा अपलोड किया-
ऑडियो के आधार पर होशंगाबाद रेंज के आईजी आशुतोष राय ने The Week को बताया कि एएसआई को सस्पेंड कर दिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है. आईजी ने ये भी बताया कि 23 मार्च की घटना की जांच चल रही है लेकिन घटना की सीसीटीवी फ़ुटेज डिलीट कर दी गई है जिस वजह से आरोपी पुलिसवाले की पहचान नहीं हो पा रही है.