मद्रास हाईकोर्ट ने चालइल्ड रेप के एक मामले पर फैसला सुनाते हुए, इस बात पर ज़ोर दिया कि Child Rape के केस में बच्चे की गवाही हर हालत में भरोसा करना ही होगा. कोर्ट को इस तरह की धारणाओं को नजरअंदाज़ करना चाहिए कि पीड़ित बच्चे किसी तरह के दबाव या सिखाने की वजह से झूठ बोलते हैं.

जस्टिस एस. वैद्यनाथन के शब्दों में,

‘Rape Victim के केस में न्यायालय को बच्चे की कही हुई बात पर भरोसा करना ही होगा. ये ग़लतफ़हमी हैं कि बच्चे झूठ बोलते हैं या उनके माता-पिता उनको सिखाकर दूसरों के ख़िलाफ़ ग़लत इल्ज़ाम लगाने के लिए भेजते हैं. Court, Child Sexual Abuse Case पर जो प्रतिक्रिया देती है उस पर इस तरह की बातों का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए.’  

Bar and Bench

मद्रास हाईकोर्ट गणपति नामक एक शख़्स के केस पर सुनवाई कर रही थी. गणपति को ट्रायल कोर्ट ने 2011 में 5 साल की बच्ची का रेप करने के लिए 2000 रुपये जुर्माना और 10 साल की जेल की सज़ा दी थी. उस वक़्त POCSO Act लागू नहीं हुआ था इसीलिए गणपति पर IPC की धारा 376 लगाई गई थी.


गणपति ने हाई कोर्ट में ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले को अनुचित ठहराते हुए कई दलीलें दीं, जैसे पुलिस में शिकायत करने में 2 दिन की देरी और गवाहों का इस केस में मुक़र जाना.  

Bar and Bench

जस्टिस वैद्यनाथन ने डिफ़ेंस काउंसिल की दलीलें ख़ारिज कर दी और कहा,

‘…Victim घटना होने के बाद तुरंत पुलिस स्टेशन नहीं जा सकता क्योंकि रेप से न सिर्फ़ उसके शरीर को चोट पहुंचती है बल्कि उसकी Modesty को भी ठेस पहुंचती है.’  

कोर्ट ने Medical Examiner’s के गवाह पर संज्ञान लेते हुए कहा कि, ‘उठने में Victim को जो दर्द हो रहा था उसका अभिनय नहीं किया जा सकता.’


जस्टिस वैद्यनाथन ने ये भी कहा कि ये रेप केस झूठा नहीं है और बच्ची के माता-पिता ने दुश्मनी निकालने के लिए ऐसा नहीं किया है.  

कोर्ट ने गणपति कि अपील ख़ारिज कर दी और उसकी सज़ा बरक़रार रखी और ये भी कहा कि Partial Penetration भी रेप ही है.