कभी-कभी इंसानों में संवेदना की कमी उन्हें हैवान बना देती है. आए दिन हमारे आस-पास ऐसी तमाम घटनाएं घट रही हैं, जिनमें छोटे-मोटे आरोप पर, बिना किसी जांच के, लोग ख़ुद से फ़ैसला कर लेते हैं और आरोपी को पीट देते हैं या मार देते हैं.

Hindustan Times की ख़बर के अनुसार, राजधानी से सटे नोएडा सेक्टर 78 के महागुन मॉडर्न सोसाइटी में बुधवार की सुबह सैकड़ों की संख्या में लोगों ने पत्थरबाज़ी शुरू कर दी. पुलिस के अनुसार ये भीड़ उस महिला के गांव वालों की थी, जिसे चोरी के आरोप में सोसाइटी के ही एक व्यक्ति ने बुरी तरह पीट दिया था. 

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26 साल की इस महिला का नाम ज़ोहरा है. सूचना मिलने पर पुलिस वहां पहुंची ज़रूर, मगर भीड़ ज़्यादा होने के कारण सिचुएशन कंट्रोल नहीं कर पाई. ख़बर के अनुसार, सोसाइटी में अफरा-तफ़री का माहौल है, जिसके कारण लोग घर से नहीं निकल पा रहे और बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे.

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वहीं फ़ेसबुक पर एक पोस्ट सामने आई है, जिसमें एक लड़की ने कहा है कि मीडिया ख़बरों को Anti Poor Spin दे रहा है. इस पोस्ट में कहा गया है कि, इस लड़की ने आरोपी महिला ज़ोहरा से मुलाक़ात की, तो उसने बताया कि उसे एक दिन तक कमरे में बंधक बनाकर रखा गया था, उसके बाद बुरी तरह पीटा गया. पोस्ट में ये भी कहा गया है कि पत्थरबाज़ी की ख़बर के बाद जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, तो भीड़ को कंट्रोल करने के बजाय उसने वहां फायरिंग शुरू कर दी.

सोसाइटी वालों का कहना है कि मेड पैसे चुराते हुए पकड़ी गई थी, जिसके बाद उन्होंने उसे पुलिस वालों को सौंप दिया. वहीं गांव वालों का आरोप है कि महिला को दो दिन तक घर नहीं जाने दिया गया और फिर पीट-पीट कर अधमरा कर दिया गया, जिसके बाद वो बेहोशी की हालत में मिली.

मामले की सच्चाई जो भी हो, अगर महिला ने पैसे चुराए भी थे, तो सोसाइटी वालों को पुलिस को ख़बर करनी चाहिए थी. बिना कोई आरोप तय हुए, उस महिला को इतनी बुरी तरह पीटना कहां तक जायज़ है? भीड़ को भी ऐसी परिस्थिति में संयम से काम लेना चाहिए. मगर मीडिया की ऐसे मामलों में एक पक्षीय रिपोर्टिंग, कहीं न कहीं उन लोगों के साथ अन्याय है, जो कमज़ोर हैं.