यूं तो आपने कई राजा-महाराजाओं के बारे में सुना होगा. उनकी कहानियों की चर्चा अभी तक होती है. हर शासक की अपनी अलग पहचान होती है. कोई अपनी वीरता से जाना जाता है, तो कोई क्रूरता से, लेकिन हम आज आपको एक ऐसे राजा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी पहचान एक फ़ोटोग्राफ़र के रूप में की जाती है. उन्हें पहली सेल्फ़ी लेने का भी गौरव प्राप्त है.
ये कहानी है जयपुर के राजा रामसिंह की. वे महाराजा जयसिंह तृतीय के पुत्र थे. जयसिंह की मृत्यु के बाद रामसिंह द्वितीय को गद्दी पर बैठा दिया गया. रामसिंह उस समय बहुत छोटे थे. हालांकि, जैसे-जैसे रामसिंह बड़े हो रहे थे, वैसे-वैसे उनकी राजकाज के प्रति दिलचस्पी बढ़ती गई. अपने कुशल नेतृत्व से उन्होंने जयपुर को एक आधुनिक शहर में तब्दिल कर दिया. वे कला, गीत और संगीत के भी प्रेमी थे. उनकी कुल नौ रानियां थीं, जिनकी वो फ़ोटोज़ खींचते थे. कहा जाता है कि वे तवायफों को मॉडल बनाकर उनकी फ़ोटोग्राफ़ी भी करते थे. आइए, उनकी कुछ खींची हुई तस्वीरों से रू-ब-रू होते हैं.
रॉयल जयपुर की इस ख़ूबसूरत तस्वीर में दो दासियां, राज्य के राजसी परिधानों में दिखाई दे रही हैं.
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एक महिला की दो तस्वीरें, जो तीखी नज़रों से कैमरे की ओर देख रही है.
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इस दासी महिला की मासूम तस्वीर, जो बहुत ही शांत दिख रही है.
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उस समय के पारंपरिक पहनावे में एक दासी की तस्वीर, जिसके चेहरे पर मासूमियत झलक रही है.
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एक बुज़ुर्ग महिला की तस्वीर, जो कभी Harem की प्रमुख थी, दूसरी फ़ोटो में एक सेविका.
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एक साधु की फ़ोटो. दूसरी फ़ोटो में राज्य के एक मंत्री की फ़ोटो. इसे महाराजा राम सिंह ने खींचा है.
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यह फ़ोटो रॉयल पैलेस जयपुर की है, जहां कई लोग बैठे हुए हैं.
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यह तस्वीर 1858 की है, जिसमें महाराजा राम सिंह के अंगरक्षक हैं.
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महाराजा राम सिंह के घोड़े की तस्वीर. यह तस्वीर 1857 से 1865 के बीच की है.
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यह स्मरणीय फ़ोटो 1857-1865 के बीच ली गई, जिसमें कई गणमान्य बैठे हुए हैं.
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महान फ़ोटोग्राफ़र महाराजा रामसिंह द्वारा खींची गई आगंतुकों की तस्वीर.
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महाराजा रामसिंह तृतीय की ये तस्वीर 1857-1865 के बीच की है. इस फ़ोटो में आधुनिक शहर की छवि झलकती है.
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यह तस्वीरें माधो निवास में मिली थीं, जो राजस्थान में स्थित है.
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महाराजा रामसिंह की सेना की टुकड़ी की फ़ोटो, जो संप्रभु राज्य जयपुर की टुकड़ी थी.
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जैसे-जैसे दुनिया में कैमरे इजाद होते गए, इन कैमरों को ख़रीदकर उन्होंने अपने तस्वीरों के संग्रह को सजाया और एक अंग्रेज़ फ़ोटोग्राफ़र को मुखिया बनाया. ठाकुर, सरदार, जमींदारों की भी तस्वीरें उन्होंने ली. विदेशी पर्यटकों को महल में खड़ाकर उनकी तस्वीर लेकर वह उन्हें उपहार में देते, जिससे पर्यटक नगरी के नाम से विदेशों में जयपुर का प्रचार करें.