महाराष्ट्र सरकार ने पर्यावरण के हित में एक अहम फ़ैसला लिया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र में अब से विक्रेताओं को दूध की थैली वापस करना अनिवार्य कर दिया गया है. यही नहीं, दूध की थैली वापस नहीं देने तक लोगों को दुकानदारों के पास जमानत के तौर 50 पैसे भी जमा कराने होंगे. वहीं जैसे ही ग्राहक थैली लौटा देंगे, उन्हें उनकी जमा राशि वापस दे दी जायेगी.
इस फ़ैसले का मक़सद राज्य में प्लास्टिक के उपयोग पर बैन लगाना है. क्योंकि महाराष्ट्र में रोज़ाना लगभग 1 करोड़ दूध की थैलियां यूज़ की जाती हैं. इसका सीधा मतलब रोज़ 31 टन प्लास्टिक कचरा इकठ्ठा होता है. ख़बरों के अनुसार, इस मुद्दे को लेकर पर्यावरण मंत्रालय ने दूध उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ मीटिंग भी की थी, जहां सभी उत्पादकों ने दूध की प्लास्टिक थैलियों को रिसाइकिल करने पर सहमति जताई. साथ ही उन्होंने ग्राहकों से हर प्लास्टिक थैली पर 50 पैसे जमा कराने की सलाह भी दी.
इस मामले पर बात करते हुए पर्यावरण मंत्री रामदास कदम ने कहा कि ये नियम एक महीने में लागू हो जायेगा. साथ ही ये भी सुनिश्चित करेगा कि प्रतिदिन 31 टन प्लास्टिक और 1 करोड़ पॉली पैक सड़क पर नहीं फेंके जाएंगे.
पर्यावरण मंत्री का कहना है कि पिछले साल जब महाराष्ट्र में प्लास्टिक बैन की गई, तब से अब तक कचरे का उत्पादन आधे से कम हो गया है. इसके साथ ही राज्य में पतली प्लास्टिक की थैलियां बनाने वाली लगभग 273 फ़ैक्ट्रियों को बंद करने का भी आदेश दिया गया है.
फ़ैसला सराहनीय है और इससे सभी राज्यों को कुछ सीखना चाहिये.