आपको अपनी स्कूल की किताबें याद हैं? उन किताबों में महिलाओं को घर के काम (जैसे खाना बनाना, घर की सफ़ाई आदि) करते और पुरुषों को आराम करते, अख़बार पढ़ते, दफ़्तर जाते देखा होगा, है न?
हम जैसा देखते हैं, वैसा ही हमारा दिमाग़ काम करने लगता है और कहीं न कहीं वैसी ही हमारी विचारधारा भी बन जाती है.

वक़्त बदल रहा है. महिलाएं पहले भी घर संभालने के अलावा बहुत से काम करती थी और आज भी कई कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं. India Today की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र बोर्ड ने किताबों में महिलाओं की छवि बदलने का निर्णय लिया है. बालभारती (Maharashtra State Bureau of Textbook Production and Curriculum Research) ने रूढ़िवादी सोच को तोड़ने में अहम फ़ैसला लिया है.

बोर्ड की कक्षा दूसरी की किताबों में पुुरुष और महिलाओं को घर का काम बांटते हुए दिखाया जाएगा.
अब से बालभारती की किताबों में महिलाओं को डॉक्टर, ट्रैफ़िक पुलिस और पुरुषों को शेफ़, इस्त्रीवाले के रूप में दिखाया जाएगा.

बालभारती के डायरेक्टर सुनील मागर के शब्दों में,
'बालभारती में हम Experiments पर ज़ोर देते हैं. बच्चों के लिए किताब बनाते वक़्त हमें सामाजिक बदलावों पर ख़ास ध्यान देना पड़ता है.'
शिक्षकों ने भी इस बदलाव का स्वागत किया है.
सही है, जब औरत और मर्द दोनों तरह के काम कर रहे हैं, तो उसे दिखाया जाना भी ज़रूरी है.