मसाला किंग के नाम से मशहूर MDH के ओनर महाशय धर्मपाल गुलाटी जी का निधन हो गया है. उनके निधन से पूरा देश ग़मगीन है. उनके जितना ज़िंदादिल और 97 साल की उम्र में भी सक्रीय रहने वाला इंसान शायद ही किसी ने देखा होगा.

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धर्मपाल जी कुछ दिनों पहले ही कोरोना को हराकर घर वापस आए थे. लेकिन इस बार उनकी तबियत कुछ ज़्यादा ही बिगड़ गई थी. इलाज के दौरान ही माता चन्नन हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया. चलिए एक नज़र तस्वीरों के ज़रिये उनके अब तक के सफ़र पर डाल लेते हैं.  

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2. 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में जन्मे धर्मपाल गुलाटी विभाजन के बाद भारत आए थे. जब वो दिल्ली पहुंचे थे तो उनके पास मात्र 1500 रुपये थे. इससे उन्होंने एक तांगा ख़रीदा और सवारी ढोने लगे.

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3.पाकिस्तान में भरा पूरा मसालों का कारोबार था, तो ज़्यादा दिन काम में मन नहीं लगा. इसलिए कुछ पैसे जमा कर के ख़ुद का काम शुरू कर दिया. अपनी नई मसाले की दुकान का नाम रखा महाशियां दी हट्‌टी (महाशय की दुकान).

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4. यहां वो अपने हाथों से मसाले पीस कर बेचा करते थे. पहली मसाले की फ़ैक्ट्री उनहोंने दिल्ली के कीर्ति नगर इलाके में लगाई थी. धीरे-धीरे उनका कारोबार चल पड़ा. MDH के मसालों की घर-घर में पैठ बन गई. अख़बार और बाद में टीवी पर इश्तिहार आने लगे. 

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5. वर्तमान में इनकी कंपनी का सालाना कारोबार 2000 करोड़ रुपये का है. रोज़ाना इनकी फ़ैक्ट्रियों में लगभग 30 टन मसाले पीसे और पैक किए जाते हैं. देश ही नहीं विदेशों में भी एमडीएच के मसालों की डिमांड है. 

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6. धर्मपाल जी का कारोबार जब सफ़लता के शिखर पर था तब उन्होंने एक चैरिटेबल ट्रस्ट भी खोला. इसका नाम उन्होंने महाशय चुन्नीलाल चैरिटेबल ट्रस्ट रखा. ये ट्रस्ट देशभर में स्कूल, अस्पताल और आश्रम चलाती है. 

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7. एक उद्योगपति के रूप में धर्मपाल जी को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया. उन्हें साल 2019 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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