अब तक ये माना जाता रहा है कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी, लेकिन अब इस बात की सच्चाई पर सवाल उठने लगे हैं. अब उनकी हत्या के 70 साल बाद इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी, जिसमें महात्मा गांधी की हत्या के केस को दोबारा खोलने की मांग की गयी है.

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याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या नाथूराम गोडसे ही गांधी जी के अकेले हत्यारे थे या इस साज़िश में कोई और भी शामिल था. सालों से ये थ्योरी सामने आ रही है कि महात्मा गांधी को किसी दूसरे इन्सान ने भी गोली मारी थी, लेकिन कोर्ट की मोहर के बिना इसे सच नहीं माना जा रहा था. याचिकाकर्ता ने गांधी जी की मौत को सबसे बड़ा कवर-अप बताते हुए केस की दोबारा जांच की मांग की है.

सुप्रीम कोर्ट ने फ़डनीस से पूछा है कि क्या इस केस में पर्याप्त सबूत हैं, जिनके आधार पर दोबारा जांच की जा सकती है? याचिकाकर्ता पंकज फ़डनीस का कहना था कि इस हत्या के पीछे एक दूसरे संगठन का हाथ था और सुप्रीम कोर्ट को मामले की छानबीन करनी चाहिए.

30 अक्टूबर को महात्मा गांधी की हत्या के मामले से जुड़ी इस याचिका पर सुनवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें S A Bobde और L Nageswara Rao शामिल हैं, ने पूर्व एडिशनल सोलिसिटर जनरल अमरेंद्र शरण को मामले में एमिकस क्यूरी बनाया है.

शुरुआती सुनवाई में कोर्ट ने कह दिया था कि इस मामले में कोर्ट ज़्यादा कुछ नहीं कर सकता है. दशकों पहले इस केस का फ़ैसला दिया जा चुका था. ये याचिका अब मुंबई के डॉक्टर पंकज फ़डनीस ने दायर की है. पंकज ‘अभिनव भारत’ ट्रस्ट के शोधकर्ता और ट्रस्टी हैं.

अब तक ये ही माना जाता है कि महात्मा गांधी को पॉइंट ब्लैंक रेंज से नयी दिल्ली में 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम विनायक गोडसे ने गोली मारी थी. फ़डनीस ने कहा है कि नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को नवम्बर 15, 1949 में फांसी दी गयी थी, लकिन विनायक दामोदर सावरकर को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया था.

फ़डनीस ने कहा है कि उनके पास इस केस से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज़ हैं. फ़डनीस ने 2016 में भी बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने डिसमिस कर दिया था. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.