भारत-पाकिस्तान के बंटवारे ने बहुत से परिवारों को जुदा होने पर मजबूर कर दिया था. इनमें से कुछ लोग ऐसे भी थे, जो देश में होते हुए भी अपनों से दूर रहे. कुछ ऐसी ही कहानी है अमीर सिंह विर्क की, जो 72 साल बाद आज अपने बिछड़े हुए भाई से मिले हैं.
बात 1947 की है, जब भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था. तब अमीर सिंह विर्क और उनके चचेरे भाई दलबीर सिंह विर्क पाकिस्तान के गुजरांवाला प्रांत के गड़िया कालन गांव में एक साथ रहते थे. अमीर सिंह तब करीब 4 साल के रहे होंगे जब उनकी मां उन्हें लेकर बंटवारे के बाद भारत की ओर निकल पड़ी. वहीं दूसरी तरफ दलबीर सिंह अपने ननिहाल पहुंच गए.
एक ही राज्य में होते हुए भी नहीं मिल पाए
अमीर सिंह कुछ दिनों तक हरियाणा के पानीपत में रहे. साथ ही अपने भाई दलबीर की खोज भी करते रहे. जबकि दलबीर उनके पास के ही ज़िले करनाल में रह रहे थे और फ़ौज में भर्ती होने की तैयारी भी. इधर दलबीर फ़ौज में भर्ती होकर अपनी मेहनत और मशक्कत के दम पर मेजर बन बैठा. वहीं अमीर सिंह ने उनकी खोज जारी रखी. एक दिन उन्हें पता चला कि दलबीर संगरूर में हैं. मगर जैसे ही वो वहां पहुंचे तो उन्हें पता चला कि दलबीर वहां से भी जा चुके थे.
शायद ईश्वर अमीर सिंह की परीक्षा ले रहे थे, अमीर सिंह ने भी इसमें कोई कसर न छोड़ी. वो लगातार अपने भाई की तलाश करते रहे. कई दशक बीत गए, मगर दोनों अभी भी एक ही देश में होते हुए भी एक-दूसरे से दूर थे. इसी बीच अमीर सिंह उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में रहने लगे.
दूर के रिश्तेदार से मिला भाई का नंबर
वहीं दलबीर सिंह सेना से रिटायर होकर नोएडा में सेटल हो गए. यहां उन्होंने अपना एक ख़ुद का क्लीनिक भी शुरू किया. बंटवारे में बिछड़े लोगों को मिलवाने के लिए भारत में एक वेबसाइट शुरू की गई थी. इसके लिए अमीर सिंह ने भी एक इंटरव्यू दिया था. उसी इंटरव्यू को देखकर अमीर सिंह के किसी दूर के रिश्तेदार ने उन्हें दलबीर सिंह का नंबर दिया.
इस नंबर पर उन्होंने कॉल किया तो सामने वाले की आवाज़ सुनते ही उन्हें यक़ीन हो गया कि ये उनके भाई दलबीर ही हैं. दोनों हाल ही में दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे में मिले थे. एक-दूसरे को 72 साल बाद देखने के बाद दोनों भाइयों की आंखों में आंसू आ गए थे.