स्कूल में बच्चों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले पिछले कुछ सालों में बढ़े हैं. इन मामलों में स्कूल प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठाए गए हैं. हालांकि जो दो साल पहले गुड़गांव की घटना पर फ़ैसला आया, वो शायद बच्चों की सुरक्षा के लिए एक अच्छा क़दम साबित हो सकता है.
दरअसल, 2016 में महज़ चार साल की बच्ची का उसी के स्कूल बस ड्राइवर ने रेप किया था और अब 2 साल बाद इस केस में फ़ैसला आया है. इसी घिनौने काम के लिए कंडक्टर को एडिशनल सेशन्स जज रजनी यादव ने पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी करार देते हुए 20 साल की सज़ा सुनाई है और 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कंडक्टर का नाम शंभू है.
इस केस ने प्रशासन को भी हिला दिया है, क्योंकि इस ड्राइवर को जिस दुष्कर्म के लिए सज़ा मिली है, उसमें ‘Raped Digitally’ Term का इस्तेमाल किया गया है. आपको बता दें, जब किसी के प्राइवेट पार्ट को Penis के ज़रिए नहीं, बल्कि उंगलियों के ज़रिए Sexualy Abuse किया जाता है, तो वो रेप डिजिटली होता है.
असिस्टेंट सरकारी वक़ील विनोद कुमार ने बताया, ‘पेरेंट्स की शिकायत के मुताबिक, कंडक्टर ने स्कूल बस में बच्ची के साथ ग़लत हरकत की थी. जैसे ही बस घर के पास पहुंची, उसने उसे ड्रॉप कर दिया. फिर अगले दिन बच्ची की जांघों (Thigh) में दर्द होने के चलते जब माता-पिता उसे अस्पताल लेकर गए, तो पता चला कि उसका यौन-शौषण हुआ है. इसके बाद बच्ची ने बस में हुई पूरी घटना अपने पेरेंट्स को बताई.
इसके बाद पेरेंट्स तुरंत सेक्टर 56 पुलिस स्टेशन पहुंचे, जहां पुलिस ने FIR तो नहीं दर्ज की, बल्कि एक औपचारिक शिकायत फ़ाइल करने के लिए कहा. पुलिस के मुताबिक, आरोपी कंडक्टर मूलरूप से पश्चिम बंगाल का है और वारदात के कुछ दिन पहले ही उसने कंडक्टरी करनी शुरू की थी.
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर कई तरह के कैंपेन चलाए गए. अब हम यही आशा करते हैं, कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा की तरफ़ और भी कठोर क़दम उठाए जाएंगे.
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