अभी देश भर में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल तलाक़ को असंवैधानिक और अमानवीय कहने के फ़ैसले की तारीफ़ हो रही थी कि दुनिया के एक दूसरी कोने में हुई एक घटना ने इस फ़ैसले को सटीक साबित किया है. सऊदी अरब में एक आदमी ने अपनी बीवी को सिर्फ़ इस बात के लिए तलाक़ दे दिया, क्योंकि वो उससे आगे चल रही थी.
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इस आदमी की पहचान नहीं हो पायी है, लेकिन The Hindu में छपी ख़बर के मुताबिक़, ये आदमी काफ़ी बार अपनी पत्नी को आगे न चलने की ‘हिदायत’ दे चुका था, जब वो नहीं मानी, तो उसने उसे तलाक़ दे दिया.
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ट्रिपल तलाक़ किसी भी महिला के लिए अमानवीय और अमानजनक है, लेकिन फिर भी भारत सहित दुनिया के कई मुस्लिम बहुल देशों में इसके नाम पर हर दिन तलाक़ होता है. सऊदी अरब से आयी ट्रिपल तलाक़ की ये घटना पहली नहीं है, इससे पहले भी एक महिला को उसके पति ने इसलिए तलाक़ दे दिया था क्योंकि उसने डिनर में सबसे ज़रूरी चीज़ नहीं रखी थी, भेड़ की सीरी. इस महिला के पति ने डिनर पर कुछ दोस्तों को बुलाया था, लेकिन महिला ने खाने की टेबल पर भेड़ की सीरी नहीं रखी. दोस्तों के जाने के बाद पति ने महिला का अपमान करते हुए उसे तलाक़ दे दिया.
Source: The Wire Urdu
भारत भी तलाक़ के ऐसे किस्सों से इतर नहीं है. यहां सुहागरात के दिन पत्नी का फ़ोन बजने की वजह से तलाक़ दिए जा चुके हैं, पति के साथ बहस करने पर तलाक़ दिए जा चुके हैं. ख़ूबसूरत न होने पर तलाक़ दिए जा चुके हैं. गिनती करते थक जाएंगे लेकिन बेतुके तलाक़ की ख़बरों की कमी नहीं होगी.
दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में बयान देते हुए कहा था कि शादी दो लोगों के बीच का बंधन है, जिसे सिर्फ़ पति की मर्ज़ी से नहीं तोड़ा जा सकता.
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एक औरत के लिए किसी मानसिक उत्पीड़न से कम नहीं होता तलाक़. भारत में इस पर ऐतिहासिक फ़ैसला देने वाले Judges की बेंच ने साफ़ तौर पर कहा कि ट्रिपल तलाक़ कहीं से भी क़ुरान का रूल नहीं है, उल्टा ये क़ुरान में लिखी गयी बातों की ख़िलाफ़त करता है.
ट्रिपल तलाक किसी भी देश के लिए शर्म की बात है क्योंकि वो अपनी महिला नागरिकों को एक अमानवीय और बेतुके फ़ैसले को झेलने के ख़िलाफ़ कोई एक्शन नहीं लेता है.
Feature Image Source: Standardfreedomproject