ज़िन्दगी में कब, क्या, कहां और कैसे हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. हमें तो ये भी पता नहीं होता कि अगले ही पल हमारे साथ क्या होने वाला है. एक पल में अगर ग़म है तो दूसरे ही पल ख़ुशियां हमारे दरवाज़े पर दस्तक देती हैं.

कुछ लोगों को मौत को बेहद करीब से महसूस करने का मौका भी देती है ज़िन्दगी. ऐसा ही कुछ हुआ पुणे के रमेश माणे के साथ. रमेश अपने 8-10 दोस्तों के साथ वेल्हा तालुका के माधे घाट घूमने गए थे. ये जगह अपने ख़ूबसूरत वॉटरफॉल्स के लिए मशहूर है.

जब सभी वापस लौट रहे थे, तो लोगों ने देखा कि रमेश उनके साथ नहीं हैं. सबने उन्हें ढूंढना शुरू किया, पर घना कोहरा और तेज़ बारिश Search Operation में बाधा डाल रहे थे.

सोमवार की सुबह Search Operation दो टीमों में बांटकर दोबारा शुरू किया गया. घाट से नीचे उतरते वक़्त बचावकर्मियों ने रमेश को जिस हालत में देखा, उससे सबके रौंगटे खड़े हो गए. रमेश 150 फ़ीट गहरी खाई में गिर गए थे और रात भर एक पेड़ की टहनी के सहारे लटके हुए थे.

ये मालूम करना मुश्किल था कि रमेश ज़िन्दा हैं या नहीं, बचावकर्मियों ने उन्हें आवाज़ देकर और सीटियों से पुकारा, जिसका जवाब उन्होंने कुछ मिनटों बाद दिया. Rescue Team में बहुत कम लोग थे इसीलिये कुछ लोग बगल के गांव से मदद मांगने चले गए. लेकिन तब तक अन्य बचावकर्मी किसी तरह रमेश के पास पहुंचे और उन्हें बचाने में कामयाब हो गए.

हैरानी की बात है कि 150 फ़ीट गहरी ख़ाई में गिरने के बावजूद रमेश को सिर्फ़ मामूली ख़रोचें ही आई थी. लेकिन उन्हें चलने में तकलीफ़ हो रही थी.

हम रमेश के जज़्बे और हिम्मत को सलाम करते हैं.

Source: HT