दिनों-दिन बढ़ती जनसंख्या और कम होते संसाधनों के बीच हालात ये पैदा हो गए हैं कि लोगों को संसाधनों का अभाव झेलना पड़ रहा है. अब जैसे कर्नाटक का ही किस्सा ले लीजिये, जहां हालात ये थे कि बच्चों को पढ़ाने के स्कूल के पास ईमारत ही नहीं थी. ख़बरों के मुताबिक, राज्य सरकार ने सिरसी के इसलूर गांव में बच्चों के लिए एक रेजिडेंशियल स्कूल स्थापना करने का प्लान बनाया, पर गांव में ऐसी जगह नहीं, जहां 40 बच्चों के बैठने की व्यवस्था कर सकें.

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सरकार की इस योजना से बच्चों के स्कूल को बंद होता देख गांव के ही रहने वाले शशिधर भट्ट ने अपने घर में बिल्डिंग की व्यवस्था करवाई और स्कूल का बंदोबस्त करवाया. इस बारे में शशि का कहना है कि ‘जब मुझे पता चला कि मेरे गांव में खुलने वाला स्कूल खुलने से पहले ही बंद होने वाला है, तो मुझे जानकर बहुत अफ़सोस हुआ. मैं बच्चों के लिए कुछ करना चाहता था. इस बाबत मैंने अपने बेटे से सलाह ली और वो स्कूल के लिए घर देने के लिए राज़ी हो गया.’

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इस स्कूल का डॉ. अंबेडकर रेजिडेंशियल स्कूल रखा गया है, जिसमें पिछले 4 महीने से 36 लड़के और लड़कियां रह कर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. ये सभी बच्चे गांव के अलग-अलग समुदायों से हैं और एक साथ पढ़ाई कर रहे है. भट्ट ने न सिर्फ़ अपनी बिल्डिंग को स्कूल के लिए दी है, बल्कि वो भविष्य में भी 5 क्लास स्कूल के लिए बनवाना चाहते हैं.