कोरोना वायरस ने हम सभी की ज़िन्दगी बदल दी है. हम अपने-अपने घरों में बंद रहने पर मजबूर हैं. कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी ज़िन्दगी कोरोना वायरस की वजह से बर्बाद हो गई है, कई लोगों ने अपनों को खोया है. कोरोना वायरस ने हमारे हेल्थ केयर सिस्टम, सरकारी ढांचे पर भी सवाल उठाये हैं.

Indian Express की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस की वजह से महाराष्ट्र के जलगांव के नेहेते परिवार पूरी तरह बर्बाद हो गया. हर्षल नेहेते ने अपनी मां, तिला नेहेते को कोरोना वायरस की वजह से खो दिया. तिला जलगांव के सिविल अस्पताल में 6 घंटे तक ICU बेड का इंतज़ार करती रही, फिर उसने दम तोड़ दिया.  

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बीते बुधवार को हर्षल की दादी, तिला की कई जगहों से गल चुका शरीर इसी अस्पताल के एक टॉयलेट से बरामद किया गया. 82 वर्षीय, मालती नेहेते 2 जून से लापता थीं. अस्पताल स्टाफ़ का कहना है वो ‘ख़ुद चली गईं’ थीं. मालती में कोविड-19 के लक्षण थे और उन्हें भर्ती किया गया था.  

मैं सोचता हूं तो कांप जाता हूं, वो कैसे चल के गई होंगी अकेले टॉयलेट तक? वो ठीक से चल भी नहीं पाती थी. 

-हर्षल नेहेते

हर्षल पुणे में रहते हैं, उनकी पत्नी गर्भवती हैं. उनके पिता, तुलसीराम भी कोविड-19 पॉज़िटिव हैं और उनका इलाज नासिक के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है. परिवार का कोई भी सदस्य उसकी मां और दादी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका.

इस परिवार के एक रिश्तेदार ने The Indian Express से बात-चीत में कहा,   

हम प्राइवेट अस्पताल में इलाज का ख़र्च उठा सकते थे लेकिन नियमों के मुताबिक़ हम कोविड-19 मरीज़ों को वहां भर्ती नहीं कर सकते थे. उनकी मौत की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? 

-हर्षल नेहेते

8 दिनों तक, किसी भी अस्पताल के स्टाफ़ ने वो टॉयलेट, साफ़ करने के लिए तक नहीं खोला, मालती को ढूंढने की कोशिश करना तो दूर की बात है.

उस वॉर्ड के अन्य मरीज़ों ने जब बदबू की शिकायत की, तब बीते बुधवार को उस टॉयलेट का दरवाज़ा तोड़ा और मालती का शरीर बरामद किया गया. इसके बाद रात में अस्पताल के 5 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया और मामले की जांच के आदेश दे दिये गये. 

इस घटना पर ज़िलाधिकारी अविनाश ढाकणे ने कहा,  

ऐसी घटनाएं, जनता के भरोसे को हिला देती हैं. मैंने कोविड-19 इलाज के लिए 2 प्राइवेट अस्पतालों में व्यवस्था की है, सारे क्रिटिकल मरीज़ों को वहां शिफ़्ट किया जायेगा. 
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मालती से पहले 3 कोविड-19 मरीज़, आईसोलेशन वॉर्ड के टॉयलेट तक पहुंचने में मारे जा चुके हैं, ज़िले के रिकॉर्ड्स से इस बात का भी ख़ुलासा हुआ.

मालती कोविड-19 पॉज़िटिव थीं पर उसे ग़लती से अस्पताल के सस्पेक्टेड कोविड वॉर्ड में रखा गया था. महाराष्ट्र के जलगांव में कोविड-19 से मारे जाने वाले लोगों की संख्या काफ़ी ज़्यादा है.  

इस परिवार में सबसे पहले, तुलसीराम नेहेते का टेस्ट पॉज़िटिव आया. हर्षल की मां, तिला और दादी मालती का टेस्ट 23 मई को पॉज़िटिव आया. उन्हें पहले सरकारी स्कूल और बाद में रेलवे अस्पताल में रखा गया. रेलवे अस्पताल में रहते हुए तिला का भी बहुत बुरा अनुभव रहा, जिसके बारे में उन्होंने हर्षल से कहा था.  

वो टॉयलेट तक चल के जा रही थीं पर रास्ते में ही गिर गईं. अस्पताल के किसी भी स्टाफ़ ने उनकी सहायता नहीं की. 2 घंटे बाद, एक दूसरे मरीज़ ने उन्हें बिस्तर तक पहुंचाया. 

-हर्षल नेहेते

31 मई को तिला की हालत बिगड़ी और उस जलगांव सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां ICU बेड न होने की वजह से उन्होंने दम तोड़ दिया. 1 जून को मालती, हर्षल की दादी की भी तबियत बिगड़ी और उन्हें भी सिविल अस्पताल के वॉर्ड नंबर 7 में शिफ़्ट करवाया गया. ये सस्पेकेटेड कोविड मरीज़ों का वॉर्ड है.


अगले दिन यानी 2 जून को हर्षल के पास अस्पताल के वॉर्ड बॉय का फ़ोन आया कि उनकी दादी, मालती ‘लापता’ हैं. 4 जून को अस्पताल के डॉक्टर, प्रसाद ने नेहेते परिवार को ख़बर दी कि मालती मिल गई हैं और उनकी हालत ठीक है. 5 जून को अनिल नेहेते अस्पताल गये और एक नर्स को मालती की तस्वीर दिखाई और बोला की 2 जून से वो लापता है. इस परिवार ने उसी दिन गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई. जलगांव पुलिस ने अस्पताल के वॉर्ड और कॉरिडर चेक किए पर मालती का पता नहीं चला.  

E Sakal

हर्षल का कहना है कि उन्होंने अस्पताल के अधिकारियों को टॉयलेट चेक करने को कहा था पर किसी ने उनकी नहीं सुनी.