देश में बेरोज़गारी का ये आलम है कि अब चोरी करने के लिए भी बहाली हो रही है. पता नहीं, नौकरी पर रखने का आधार क्या था लेकिन जयपुर में पुलिस ने एक गैंग को पकड़ा है जिसके सदस्यों को सैलरी मिलती थी.

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उनकी पगार 15 हज़ार तय हुई थी और Performance के आधार उनकी सैलरी कटती भी थी. हर चोर को दिन में कम से कम एक चोरी तो करनी ही पड़ती थी, यानी उनके Target भी सेट थे.

मंगलवार को जयपुर ईस्ट के डिप्टी कमिशनर गौरव यादव ने मीडिया को बताया कि ग्रुप के 6 सदस्यों के साथ उनका सरगना भी पकड़ा गया. ये फ़ोन, सोने की चेन, लैपटॉप इत्यादी जैसी चीज़ें चोरी करते थे. CCTV फ़ुटेज की छानबीन और मोबाईल फ़ोन से लोकेशन को ट्रेस करने के बाद उन्हें दबोचा गया.

ग्रुप के सभी सदस्य प्रताप नगर में एक किराये के मकान में रह रहे थे. पुलिस ने सुचना मिलते ही पूरी तैयारी के साथ रेड मारी और सबको गिरफ़्तार कर लिया गया. उनके कमरे से 33 मोबाईल फ़ोन, 2 सोने की चेन, एक लैपटॉप और चार मोटरसाईकल बरामद की गई.

पुलिस के अनुसार बाकी सदस्यों की पहचान नंदराम मीना(20), लखन मीना(22), इंदराज बैरवा(19), सलमान खान(23), ख़लील(24) और कपिल मीना(20) के रूप में हुई है.

पुलिस ने बताया कि ग्रुप का हेड आशीष मीना सवाई माधोपुर ज़िला में रहता था. वहां उसकी मुलक़ात बाकी के सदस्यों से हुई. सभी बेरोज़गार थे. आशीष ने सबको चोरी के लिए नौकरी पर रखा और सबके साथ जयपुर रहने लगा. इस ग्रुप का गठन जुलाई में हुआ था, अब तक इन लोगों ने 36 घटनाओं को अंजाम दे दिया था.