भागती-दौड़ती ज़िन्दगी और उसके साथ भागने की कोशिश करते हम. दौड़-भाग के दर्मियां हम अपने आप पर ध्यान नहीं दे पाते, आस-पास के इंसानों और घटनाओं पर ध्यान देना तो दूर की बात है.

लेकिन सब लोग एक जैसे नहीं होते. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने से पहले दूसरों को रखते हैं. ऐसे ही शख़्स हैं कर्नाटक के उडूपी के कृष्णा पुजारी. 

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किसी वजह से 53 वर्षीय कृष्णा के दाहिने पैर की सारी शक्ति चली गई थी. आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वो अच्छे से इलाज नहीं करवा सकते थे. दर्द में आराम हो इसलिए डॉक्टर्स ने उन्हें सैर करने की सलाह दी थी.

डॉक्टर्स की सलाह मानते हुए कृष्णा रोज़ कई किलोमीटर चलते हैं. कृष्णा की इस आदत ने न सिर्फ़ उनकी तंदरुस्ती बनाए रखी, बल्कि कई अन्य लोगों की भी जान बचा ली. कृष्णा ब्रह्मस्थान नागबान क्षेत्र के आस-पास घूमते थे. बीते शनिवार को चलते-चलते अचानक ही वो लड़खड़ा गए. और तब उन्होंने देखा कि रेल की पटरियां टूटी हुई हैं जिसकी वजह से वो गिरते-गिरते बचे.

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कृष्णा सोच ही रहे थे कि क्या किया जाए तब तक एक ट्रेन वहां से गुज़री. इसके बाद पटरियां और टूट गईं. तब कृष्णा ने 3 किलोमीटर दौड़कर नज़दीकी स्टेशन पर अधिकारियों को सूचित करने का निर्णय लिया.

अधिकारियों ने सूचना मिलते ही ट्रेनों की आवाजाही रोकी और रेलवे ट्रैक की मरम्मत का काम शुरू कर दिया.

पैर कमज़ोर होने के बावजूद कृष्णा ने बड़ी ट्रेन दुर्घटना को होने से रोक दिया.