फलों को मौसम से पहले पका कर बेचने का काम सालों से चला आ रहा है. बिन मौसम इन्हें पका कर बेचा जाता है ताकि ज़्यादा मुनाफ़ा कमाया जा सके. मुनाफ़ाखोर बड़े स्टोर में कच्चे फल रखते हैं और बाज़ार में उन फलों की कमी होने पर धीरे-धीरे सप्लाई करते हैं. लोगों के सबसे ज़्यादा पसंदीदा फल आम के साथ भी यही है. सालों से इन्हें कार्बाइड के ज़रिए पकाया जाता है और मौसम के पहले आम से भी पहले इन्हें बाज़ार में उतार दिया जाता है.

देशभर में जब कार्बाइड और केमिकल वाले फ़लों पर कार्यवाही हुई तो बाज़ार में आ गया एक नया ख़तरनाक विकल्प. रायपुर, छत्तीसगढ में बीते दिनों चाइनीज़ पैकिंग वाले एथीलीन केमिकल के पाउच बरामद हुए हैं, जिनका इस्तेमाल फलों को अप्राकृतिक तरीकों से पकाने के लिए होता है.

एक निजी ​मीडिया संस्था ने जब इसकी पड़ताल की तो पाया गया कि रिटेलर से लेकर थोक विक्रेता इसका अच्छे से इस्तेमाल कर रहे हैं. इन पाउचओं को पेटी में पैक करते वक़्त ही उसमें डाल दिया जाता है और जब तक ये खेत से थोक विक्रेता और फिर रिटेलर से होते हुए घरों तक जाते हैं और पक जाते हैं.

जांच कर रही टीम ने पाया कि यहां पोर्टब्लेयर, तमिलनाडु और कोल्ड स्टोरेज के फल पकाए और बेचे जा रहे हैं.

वैज्ञानिकों ने बताया कि ये आम मार्च के बाद पकना शुरु होते हैं. स्टिंग कर रही टीम ने इसके सैम्पल पुलिस को दे दिए हैं, जो इसकी जांच करा रही है. अगर रिपोर्ट निगेटिव आई तो इस पर कार्यवाही की जाएगी.