जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की तैयारी चल रही है. पिछले कुछ-दिनों से जम्मू-कश्मीर के भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिती बनी हुई थी. केंद्र सरकार ने ये तय किया है कि जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा वापस लेकर उसे एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा और लद्दाख भी एक केंद्र शासित प्रदेश होगा. 

india tv news

अनुच्छेद 370 के हटने के मायने क्या हैं, उसे आपको समझना चाहिए- 

1. अनुच्छेद 370 की वजह से यहां धारा 356 यानी राष्ट्रपति शासन लागू नहीं होता था. चूंकि जम्मू-कश्मीर को अब एक केंद्र शासित राज्य बनाए जाने की बात हो रही है, जिसकी अपनी विधायिका भी होगी, तो कहा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति कमोबेश दिल्ली जैसी होगी. राज्य सरकार सीमित शक्तियों के साथ काम करेगी.

2. 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था. इसके तहत भारतीय नागरिक कश्मीर में भूमि ख़रिदने का अधिकार नहीं रखते. यहां तक कि राज्य की स्थानीय महिला अगर राज्य के बाहर के किसी पुरुष से शादी करती है उसके राज्य के भीतर संपत्ति रखने के अधिकार ख़त्म हो जाते थे.

3. अब तक केंद्र सरकार युद्ध और बाहरी आक्रमण की स्थिति में राज्य में सिर्फ़ एकतरफ़ा आपातकाल घोषित कर सकती थी. केंद्र सरकार राज्य सरकार की अनुमती के बिना वित्तीय आपातकाल घोषित नहीं कर सकती थी.

4. आज़ादी के पहले राज्य के ऊपर डोगरा राजवंश का शासन था, 1932 में महाराज रणबीर इसके राजा हुआ करते थे. उनके नाम पर ही रणबीर दंड संहिता बनाई गई थी. जहां पूरे देश में भारतीय दंड संहिता लागू है, वहीं जम्मू-कश्मीर रणबीर दंड संहिता के अनुसार कार्य करता था.

5. अनुच्छेद 370 के कारण भारतीय संसद राज्य की सीमाओं को बढ़ा या कम नहीं कर सकती थी. इसी वजह से भारत Aski Chin के मसले को सुलझाने में पूरी तरह सक्षम नहीं था.

6. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता प्राप्त थी. राज्य का अपना राष्ट्रध्वज भी होता था. राज्य सरकार का शासन काल 6 वर्षों का होता है. जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं था. यहां तक कि भारत के उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले भी राज्य में लागू नहीं होते थे. कश्मीर में अल्पसंख्यकों(हिन्दू-सिख) का 16% आरक्षण का लाभ नहीं मिलता था.

7. राज्य में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या 11.9 प्रतिशत है, बावजूद इसके उन्हें किसी प्रकार का आरक्षण नहीं मिला था.

8. अनुच्छेद 370 के कारण भारतीय संसद राज्य की सीमाओं को बढ़ा या कम नहीं कर सकती थी. इसी वजह से भारत Aski Chin के मसले को सुलझाने में पूरी तरह सक्षम नहीं था.

इनके अलावा और ऐसे कई भारती क़ानून थे, जो जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते थे. केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद से यहां भी अन्य राज्यों की तरह केंद्र सरकार के क़ानून लागू होंगे. बस देखने वाली बात होगी कि नए बिल में राज्य किस प्रकार की सुविधाएं दी जाएंगी.