भारतीय सरकार द्वारा कोरोना वायरस पैंडमिक से निपटने के लिए जो क़दम उठाए गए, उसकी मेडिकल प्रोफ़ेशनल एसोशिएशन्स ने कड़ी निंदा की है. अच्छी प्लानिंग के बिना किए गए लॉकडाउन और बग़ैर सोची-समझी नीतियों का ख़ामियाज़ा भारत ने भुगत रहा है.


India Today की रिपोर्ट के अनुसार, एक जॉइंट स्टेटमेंट में मेडिकल प्रोफ़ेशनल एसोशिएशन्स द्वारा कहा, ‘ये उम्मीद करना कि कोविड19 इस स्टेज पर ख़त्म हो जायेगा बिल्कुल अवास्तविक है. देश के कई इलाकों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुकी है.’ 

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कम्युनिटी ट्रांसमिशन होने के सुबूत पहले भी मिले हैं. आईसीएमआर ने अप्रैल में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात कही थी.


स्टेटमेंट में आगे कहा गया, ‘अगर मज़ूदरों को एपिडेमिक के शुरुआत में जब बीमारी कम फैली थी, तभी घर जाने की इजाज़त दे दी जाती तो अभी के हालात नहीं होते. घर लौटते मज़दूर अपने साथ बीमारी लेकर जा रहे हैं. मज़दूर ज़्यादातर ग्रामीण या सेमि-अर्बन क्षेत्रों में जा रहे हैं जहां के हेल्थ सिस्टम शहरों के मुक़ाबले कमज़ोर हैं.’ 

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बीते 25 मई को 3 मेडिकल प्रोफ़ेशनल एसोशिएशन्स ने प्रधानमंत्री मोदी को स्टेटमेंट सौंपी. इस स्टेटमेंट को भेजने वाले सदस्यों में एम्स के डॉ. शिश कांत, बीएचयू के के पूर्व प्रोफ़ेसर, डॉ. डी.सी.एस. रेड्डी भी शामिल हैं.